झांसी मौसम चुनाव का हो चला है नेताओं और राजनीतिक पार्टियों के हमदर्दी दिखाने का इतिहास एक बार फिर से जनता को नजर आने लगा है, लेकिन बुंदेली माटी का यह दुर्भाग्य कि आज झांसी में पक्ष और विपक्ष के माननीयो की फौज थी ।बावजूद इसके गरीब पढ़ते रहे और किसी ने सुध लेने तक की नहीं सोची।
बीते रोज लखनऊ में एप्पल के समय नजर विवेक तिवारी की पुलिस की गोली से हुई मौत के बाद विपक्ष के नेताओं ने सरकार पर हमला बोला तो सरकार भी अपने बचाव में सारे प्रयास करती नजर आ रही है चुनावी मौसम में सपा बसपा और कांग्रेस छोटे-छोटे मुद्दों पर सरकार को घेर रहे हैं लेकिन यह दुर्भाग्य है की घटना के समय किसी भी दल का कोई भी नेता मौके पर पहुंचने की हिमाकत नहीं दिखा पाता है।
सत्ता में बैठी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे आज झांसी में थे उनके साथ पूरी भाजपा थी मेडिकल कॉलेज में तीमारदार और चिकित्सकों के बीच विवाद हुआ हंगामा होता रहा घटना ने पुलिस प्रशासन को जाकर भी रख दिया लेकिन ताज्जुब इस बात का किसी नेता ने इस मामले को समझने तक की कोशिश नहीं की।
यही नहीं भाजपा पर शब्दों के तीर चला रही समाजवादी पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम लखनऊ की घटना पर झांसी में बैठकर सरकार को नसीहत देते नजर आए लेकिन उन्हें किसी ने यह नहीं बताया कि झांसी में गरीब पिट रहे हैं, चलो चल कर देख ले सारे सपाइयों को भी मानो सांप सूंघ गया था।
सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि झांसी की सांसद और केंद्रीय मंत्री उमा भारती झांसी से महज 30 किलोमीटर दूर निवाड़ी को जिला बनाने के समारोह में शिरकत करने, तो चली गई, लेकिन वह झांसी में घटने वाली घटनाओं को संज्ञान में लेकर कोई पहल करने की नहीं सोच पा रही हैं।
राजनीतिक परिदृश्य में हास्य की स्थित उस समय शामिल हो जाती है जब पक्ष विपक्ष के नेता घटना को लेकर सोशल मीडिया पर वार औऱ प्रहार करते हैं, लेकिन मौके पर किसी की हिम्मत नहीं होती कि जाकर हमदर्दी के दो बोल बोल सकें।
वैसे तो नगर में कई बड़े मामले हुए हैं लेकिन आज मेडिकल कॉलेज में तीमारदार और जूनियर चिकित्सकों के बीच हुए विवाद को लेकर किसी माननीय का कोई बयान सामने नहीं आया इस घटना में दूसरा पहली हुए भी रहा कि हड़ताल पर गए चिकित्सकों की वजह से एक गरीब मरीज मेडिकल से जिला अस्पताल के बीच झूलता रहा इतना ही नहीं बीते रोज झांसी में एक युवती को एक बड़े रसूखदार और सट्टा खिलाने वाले ने बीच सड़क पर पीटा लेकिन किसी दल के नेता ने इस सवाल को उठाने की हिम्मत नहीं दिखाई। चाहे वह सपा के नेता हो या बसपा और कांग्रेस।
झांसी आए माननीय के स्वागत में आज खूब फूल बरसाए गए राजनीतिक रणनीति यां बसनी गरीबों के हित में बोलने के शब्द खोजे गए मुद्दों पर प्रहार करने की जिम्मेदारियां सौंपी गई लेकिन घट रही घटनाओं को संज्ञान में लेने की किसी को चिंता नजर नहीं आयी।