अखिर मायावती राहुल गांधी से हाथ क्यों नहीं मिलाना चाहती है

नई दिल्ली 3 अक्टूबर मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस के हाथ को सहारा देने से साफ इंकार कर दिया है। यहां यह समझना जरूरी है कि आखिर मायावती ने ऐसा क्यों किया क्या वह अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाना चाहती हैं? या उन की शर्तें कांग्रेसी बूते से बाहर है।
इस महीने तीनों राज्यों में चुनावी बिगुल चुनाव आयोग फूंक देगा। चुनाव में दलित और कांग्रेसका गठजोड़ बीजेपी के लिए चुनौती पेश करने की कांग्रेस की रणनीति मायावती की एक निर्णय धराशाई हो गई है।
मायावती ने साफ कर दिया है कि वह कांग्रेश के साथ किसी राज्य में गठबंधन नहीं कर रही है छत्तीसगढ़ में बसपा ने अजीत जोगी की पार्टी से गठजोड़ किया है पहले उम्मीद थी कि वास्पा मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सहारा दे देगी, लिक मायावती ने अपने कदम पीछे खींचने के साथ साफ कर दिया कि मैं तीनों राज्यों में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
बसपा का कांग्रेस के साथ न आना राहुल गांधी के विपक्षी एकता को झटका माना जा रहा है. इसके चलते कांग्रेस को जहां मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसके अलावा आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ बसपा रहे, ये कहना मुश्किल है. बसपा 2019 में भी इसी तरह से अलग होकर लड़ती है तो कांग्रेस को कई राज्यों में दलित मतों का नुकसान झेलना पड़ सकता है. बीजेपी और कांग्रेस के बाद बसपा एकलौती पार्टी है जिसका आधार राष्ट्रीय स्तर पर है.
वैसे बसपा का कांग्रेस के साथ ना जाना भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी बसपा खेल बिगाड़ने की स्थिति में है।

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