उरई। बचपन को शिक्षा की मजबूती का आधार देने के लिए राज्य सरकार की कोशिशों को गुरुजन ही पलीता लगा रहे हैं हालत यह है कि ग्रामीण इलाकों में बच्चे बुलंद इमारत वाले बनने की दिशा में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों के न पहुंचने से नौनिहालों का भविष्य चौपट हो रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग गैरहाजिर रहने वाले शिक्षकों की लगाम कसने की बजाय मासिक उगाही करके उन्हें अभयदान दे रहा है।
कुठौंद ब्लाक के पारेन स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों के खिलवाड़ को प्रत्यक्ष तौर पर देखा जा सकता है।
विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बताया कि शिक्षक समय पर नही आते। स्कूल खोलने का काम उन्हीं लोगों द्वारा किया जाता है। प्रार्थना भी शिक्षकों की अनुपस्थिति में ही हो जाती है। खण्ड शिक्षाधिकारी से लेकर बेसिक शिक्षाधिकारी तक कोई इस हकीकत को देखने के लिए विद्यालय में आने की जहमत नही उठाता।
उधर कुठौंद के कन्या प्राथमिक विद्यालय में अरसे से मिडडे मील नही बनाया जा रहा। जबकि कागजों में फर्जीवाड़ा करके इसका खर्चा हड़पा जा रहा है। खंड शिक्षाधिकारी को इसकी जानकारी है। लेकिन मिलीभगत के कारण उन्होंने अभी तक कोई कार्रवाई नही की।