स्वामी सानंद की क्या जबरन मौत हुई? हत्या का आरोप लगाते हुए उठे सवाल

नई दिल्ली 11 अक्टूबर गंगा के लिए भागीरथ बनने के रास्ते पर चल रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद यानी प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का आज निधन हो गया. मंगलवार को उन्हें अन्न जल छोड़ने के बाद पुलिस ने जबरन उठाकर ऋषिकेश के एम्स में दाखिल करा दिया था.

किस गंगा ने बुलाया था
सरकार को न तो गंगा की चिंता है न स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की चिंता थी .गंगा के लिए 111 दिन से आमरण अनशन कर रहे स्वामी सानंद का आज निधन हो गया .
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रोफ़ेसर जीडी अग्रवाल उर्फ़ स्वामी सानंद को बातचीत तक समय नहीं दिया था .स्वामी ज्ञानस्वरूप सानन्द (जन्म 20 जुलाई 1932) भारत के प्रसिद्ध पर्यावरणप्रेमी थे । उनका मूल नाम जी डी अग्रवाल था। सम्प्रति वे महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के मानद प्राध्यापक (ऑनरेरी प्रोफेसर) हैं। २००९ में भागीरथी नदी पर बांध निर्माण रुकवाने के लिये उन्होने अनशन आरम्भ किया था जो सफल रहा।
आपको बता दें कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल अविरल गंगा के पैरोकार थे उन्होंने गंगा को बांधों से मुक्त कराने के लिए अनेकों बार आंदोलन किए थे. मनमोहन सरकार के दौरान 2010 में उनके अनशन का ही परिणाम था की गंगा की मुख्य सहयोगी नदी भागीरथी पर बन रहे लोहारी नागपाल भैरव घाटी और पाल मनेरी बांधों के प्रोजेक्ट को रोक दिया गया था .वर्तमान में मोदी सरकार ने इन्हें फिर से शुरू कर दिया था सरकार की इन बांधों के प्रोजेक्ट रोकने और गंगा एक लागू कराने की मांग को लेकर स्वामी सानंद 22 जून से अनशन पर थे.
स्वामी सानंद की मौत के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आज तक न्यूज़ चैनल से बातचीत में बताया कि आज सुबह ही उनकी स्वामी जी से बात हुई थी। उन्होंने कहा था कि डॉक्टरों ने बोला है कि उनके शरीर में पोटेशियम की कमी है इसलिए उन्होंने आईवी से पोटिशियम का डोज लिया है। अविमुक्तेश्वरानंद ने सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जैसा संत निगमानंद के साथ हुआ था वैसा ही संत सानंद के साथ हुआ है।
जो भी गंगा के बारे में बोलेगा वह मार दिया जाएगा । उन्होंने कहा कि वे इसे प्रोफेसर अग्रवाल की हत्या मानते हैं, इसलिए एम्स प्रशासन से पत्र लिखकर मांग करने जा रहे हैं कि उनके शव का पोस्टमार्टम कर जनता के सामने रखा जाए।

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