अहदाबाद 8 दिसम्बरः कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की पिछले कई महीनो से गुजरात चुनाव मे की जा रही जमीन क्या मणि शंकर के बयान के बाद हाथ से फिसल जाएगी? यह सवाल इसलिये उठ रहा है क्यांेकि 2014 के आम चुनाव मे भी मणि ने ही मोदी को चायवाला कहा था। इसके बाद मोदी ने चायवाला शब्द को चुनावी बहमास्त्रब बनाकर कांग्रेस की धज्जियां उड़ा दी थी।
गुजरात मे पिछले 20 साल से अधिक समय से सत्ता से बाहर कांग्रेस ने इस बार राहुल गांधी के भरोसे जमीन तैयार की।
राहुल ने गुजरात मे जमकर मेहतन की और हार्दिक जैसे युवा नेताओ कीटीम को अपने पाले मे किया। इन समीकरण से बीजेपी केमाथे पर पसीना आ गया है।
बीजेपी कांग्रेस उपाध्यक्ष के हर वार का तोड़ ढूंढने मे ही वक्त निकाल देती, लेकिन सफलता नहीं मिल पाता। चाहे वो जातीय समीकरण हो गया फिर हिन्दुत्व की लहर।
राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव मे साफट हिन्दुत्व की छवि पर काम करके बीजेपी के हिन्दुत्व वाले कार्ड को फेल कर दिया।
पिछले कुछ दिनो से मुददे की तलाश मे भटक रही बीजेपी को आखिरकार मणि ने अच्छा मौका दे दिया। नीच शब्द को हथियार बनाकर मोदी ने सभाओ मे इसे गुजरात की जनता का अपमान बताते हुये बदला लेने की अपील कर डाली। इसके बाद से राहुल गांधी के चेहरे पर भी चिंता की लकीरे उकर आयी।
हालंाकि कांग्रेस ने डेमेज कंटोल करते हुये मणि को प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करते हुये कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
मणि के बयान को दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने घातक माना है। शीला ने कहा कि मणि के बयान से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बरहाल, चुनाव मे शब्दो से खेलने के जादूगर मोदी को नया शब्द देकर फंसी कांग्रेस अब मोदी को ज्यादा हावी नहीं होने देना चाहती। इसलिये राहुल ने खुद बयान की निंदा कर मांफी मांगने की बात कर दी।
चुनाव मे चायवाला के बाद नीच शब्द क्या गुल खिलायेगा, यह मतगणना के समय ही साफ हो सकेगा।