नई दिल्ली 12 जनवरीः सुप्रीम कोर्ट के जिन चार जज ने आज मीडिया के समक्ष अपनी बात रखी। उन जज ने खत मे क्या लिखा यह हम आपको बता रहे हैं।
न्यायाधीशों ने चिट्ठी में लिखा है कि स्थापना के बाद से ही कोलकाता, बॉम्मे और मद्रास हाईकोर्ट में नियम और परंपराएं तय थीं। इन कोर्ट्स के काम पर इस अदालत के फैसलों ने विपरीत असर डाला है जबकि सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना तो खुद इन उच्च न्यायालयों की सदी के बाद हुई थी।
सार्वजनिक चिट्ठी में कहा गया है कि- यह सामान्य नियम है कि चीफ जस्टिस केपास रोस्टर बनाने का अधिकार है और वो तय करतेहैं किकौन सी बेंच और न्यायाधीश किस मामले की सुनवाई करेगा। हालांकि यह देश का कानून है कि चीफ जस्टिस के बराबर न्यायाधीशों में पहला होता है, ना वो किसी से बड़ा होता है, ना ही छोटा है।
न्यायाधीशों ने अपने पत्र में कहा है कि ऐसे कई मामले हैं जिनका देश के लिए बहुत महत्व है लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने उन मामलों को तर्क के आधार पर देने की जगह अपनी पसंद वाली बेंचों को सौंप दिया गया। इसे किसी भी हाल में रोका जाना चाहिए। चिट्ठी में लिखा गया है कि हम किसी भी मामले का जिक्र कर, अदालत की प्रतिष्ठा को हानि नहीं पहुंचाना चाहते।