Headlines

बुंदेलखंड -सफेद नहीं हरा पानी छानकर पीते हैं लोग, रिपोर्ट-रवि,देवेंद्र,सुनील

झांसी 17 जून। बुंदेलखंड का नाम जुबान पर आते ही एक ही तस्वीर उभरती है इसमें पिछड़े और गरीब का तमगा लिए बुंदेली अपनी मजबूरियों के साथ जिंदगी जीने का  हौसला लिए नजर आते हैं। यहां जमीन से पानी 200 फुट नीचे चला गया है , लेकिन माननीयों की आंखो का पानी गरीबों की दुर्दशा देखकर भी बाहर नहीं आता है ।

बुंदेलखंड के हमीरपुर, महोबा, टीकमगढ़ आदि इलाकों में हालात यह हैं कि लोग शुद्ध पानी के लिए सालों से तरस रहे हैं। नहर, नालियों और तालाबों में भरे दूषित जल, जिसका रंग हरा होता है,  उसे छानकर या कहें उबालकर अपने मानक शुद्ध  बनाकर कंठ की प्यास बुझा लेते हैं ।पानी से प्यास बुझ जाती है ,लेकिन बीमारी कब  किस रूप में उन्हें चपेट ले,  यह कहना मुश्किल है।

हमारी टीम में पिछले दिनों बुंदेलखंड की हालातों को टटोलने की कोशिश कि यकीन मानिए पानी के अभाव में मवेशी तुम कहीं भी दम तोड़ देते हैं लेकिन इंसान के लिए पानी जंग की हालात के रूप में सामने आ गया दबंगई और जातियां पानी के लिए ऐसे हथियार के रूप में सामने आ रहे हैं क्यों कब किसका कंठ सर करें या उसे तड़पता छोड़ दे।

जमीन में पानी 200 फुट की गहराई में होने का मलाल गरीबों के लिए गहरा हो गया है , क्योंकि वह ना तो  इतनी गहरी बोरिंग करा सकतते है और ना ही कहीं से कर्ज लेकर  भागीरथ बनते हुए जमीन से पानी निकाल  सकते है।

गॉव में हालात ऐसे हैं कि जो  दबंग हैं या आर्थिक रुप से  मजबूत  हैं , वह पैसे को पानी पर कब्जा करने के लिए  हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे है।

पानी पर  दूसरों का कब्जा हो जाने की स्थिति पर कमजोर लोग अपनी दलील कुछ इस तरह देते हैं कि भैया लोग जब चाहे तब उन्हें पानी मिल जाइ। यानी हो मजबूर है लेकिन दबंगों के खिलाफ भी नहीं बोल सकते।

बुंदेलखंड में पानी की समस्या को लेकर हालात जैसे भी हो,  इससे बड़ा संकट बात का है कि राजनेता, मंत्री और सरकारें सिर्फ और सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए इस मुद्दे को आज तक लंबा खींचते चले आ रहे हैं। अब तो बुंदेली यों को बस यही लगता है कि  कब बादल से अमृत की  बुंदे  गिरेंगी जो हरे  पानी को सफेद करें । लेकिन यह उम्मीद तो बेईमान ही मानी जाएगी की सरकारी या  माननीय कभी पानी को लेकर संजीदा हो सकेगे।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *