अंतर्राष्ट्रीय सिकल सेल दिवस(19 जून) : सिकल सेल पेशेंट की कहानी उसके परिवार की जुबानी, रिपोर्ट -राजेश शिवहरे

अनूपपुर (मध्य प्रदेश राजेश शिवहरे)18 जून 2023/ नाम- कृष्णा डोंगरे उम्र 6 बर्ष ( अमरकंटक) पिता- सुरेश डोंगरे, माता- सोनासुरेश डोंगरे दोनो पति पत्नी नगर परिषद अमरकंटक में दैनिक वेतन भोगी स्वच्छता कर्मचारी है, इनका एक पुत्र कृष्णा डोंगरे है जिसकी आयु 6 वर्ष है (कृष्णा की एक छोटी बहन भी है) कृष्णा, सरस्वती शिशु मंदिर अमरकंटक मे दूसरी क्लास में पढ़ता है | वह बचपन से ही बीमार रहता था, शरीर मे अचानक दर्द होने लगता और पेट, हाथ व पैर में सूजन आ जाती | जिसकी वजह से हमेशा उसे बुखार रहता और ठीक ही नहीं होता | कृष्णा के माता-पिता समझ नहीं पा रहे थे कि उसे क्या बीमारी है । कृष्णा के बीमार होने पर उसके परिजन सदैव अमरकंटक में ही निजी चिकित्सक अथवा शासकीय अस्पताल (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) में इलाज करवाने के लिए ले जाते थे । इलाज से एक-दो दिन के लिए तो आराम हो जाता था, परंतु दो-चार दिन बाद फिर वही समस्या होने लगती थी। एक बार डॉक्टर की सलाह पर शहडोल में बड़े डॉक्टर को भी दिखाने ले गए बड़ी जगह में इलाज का खर्च भी ज्यादा होता है, लगभग ₹6000 रुपये खर्च हो गए लेकिन वह ज्यादा दिन तक स्वस्थ्य न रह सका | अभी 15 दिन भी न बीते थे कि कृष्णा की तबियत खराब हो गई । डॉक्टर के इलाज से आराम ना होने पर कृष्णा के माता-पिता झाड़-फूंक भी कराने लगे | झाड़-फूंक के लिए अमरकंटक से लेकर मंडला तक बहुत से गुनिया को दिखाया फिर भी कहीं से आराम नहीं हुआ । जब तबीयत बिगड़ जाती थी तो उसका स्कूल जाना बंद हो जाता जिससे वो अन्य बच्चों कि तरह पढ़ाई भी नहीं कर पा रहा था । कृष्णा ने बताया कि मेरे पिताजी मोटरसाइकिल से स्कूल छोड़कर जाते थे अपने काम को चले जाते थे | कभी कभी तकलीफ इतनी ज्यादा हो जाती की पिता जी को अपना काम छोड़कर बीच में ही स्कूल से मुझे घर लाना पड़ता था मुझे लगता था कि मेरे वजह से मेरे पिता जी बहुत परेशान हो जाते थे | कृष्णा कहता है कि कभी कभी मुझे तकलीफ होती थी तो मै किसी से न बताने कि कोशिश करता क्योंकि मुझे पता है कि पिता जी परेशान हो जायेंगे लेकिन स्कूल में रहता भी था तो इतनी ताकत नहीं होती कि पेंसिल पकड़कर लिख सकूँ या बाहर ही खेलने जा सकूँ । कृष्णा के माता-पिता बच्चे की तकलीफ देखकर कभी कभी रो पड़ते थे | अपने आप को कोसते और असहाय सा महसूस करते | बच्चे की तकलीफ व इलाज में समय देने की वजह से वह अपना काम भी ठीक नहीं कर पाते थे जिससे उनकी कमाई भी कम होने लगी | इलाज में ज्यादा खर्च होने के कारण घर खर्चों के लिए परेशानी होने लगी | कृष्णा के पिता ने अपने बच्चे के इलाज पर एक लाख रुपए से ज्यादा खर्च किए | पैसे की तंगी की वजह से उन्होंने ब्याज में 40 हजार रुपये कर्ज लिया था। उन्हें लगने लगा था की सारी मुसीबत एक साथ आ गयी है जिससे वह मानसिक तनाव में रहते | उनका तनाव चेहरे में साफ़ दिखाई देता |
अगस्त 2022 में जन स्वास्थ्य सहयोग गनियारी संस्था में कार्यरत काउंसलर पवन गुप्ता को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रअमरकंटक, विकासखण्ड राजेन्द्रग्राम, जिला अनुपपुर की लैब टेक्नीशियन विनीता जी द्वारा बताया गया कि उनके पास एक बच्चा आया है जिसका सिकल सॉल्युबिलिटी टेस्ट पॉजिटिव आया है और इस बच्चे में सिकल सेल की बीमारी से संबंधित सभी लक्षण हैं परंतु उसका कंफर्मेटरी टेस्ट नहीं हो पाया है क्योंकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजेंद्रग्राम में यह सुविधा नहीं है | नौकरी से छुट्टी नहीं मिलने कारण उसके परिजन अनूपपुर जाकर टेस्ट नहीं करा पा रहे है ।विनीता जी ने निवेदन किया की आपकी तरफ से बच्चे को मदद मिल जाये तो बेहतर होगा | काउंसलर पवन गुप्ता ने जन स्वास्थ्य सहयोग संस्था की टीम के साथ समन्वय के माध्यम से कृष्णा के खून की जांच के लिए सैंपल को अनूपपुर स्थित लैब मंगाकर HB एलेक्ट्रोफोरोसिस टेस्ट की गयी | जांच मे कृष्णा सिकल सेल रोगी पाया गया । जन स्वास्थ्य सहयोग की काउंसिलिंग टीम ने कृष्णा के घर अमरकंटक जाकर जांच रिपोर्ट एवं सिकलसेल कार्ड दिया | सिकल सेल की बीमारी से सम्बंधित जानकारी व नियमित रूप से दवाइयों के सेवन की आवश्यकता बारे में विस्तार से बताया गया । टीम के द्वारा समय समय पर कृष्णा को प्राथमिक स्वास्थ्य अमरकंटक ले जाकर चिकित्सक के द्वारा स्वास्थ्य जांच करवाकर दवाइयां भी दिलाई जाती रही । सितंबर 2022 से कृष्णा नियमित रूप से सिकल सेल बीमारी से राहत के लिए दवाइयां खा रहा हैं | महीने में दो-तीन बार काउंसलर के द्वारा कृष्णा से गृह भेंट या फोन पर बात करते रहते है । पिछले माह (फरवरी 2023) संस्था के काउंसलर ने कृष्णा के घर फालो-अप विज़िट कर तबीयत के बारे में पूछा तो कृष्णा के माता-पिता ने बताया की जब से कृष्णा ने दवाई चालू की हैं तब से कृष्णा एकदम स्वस्थ रहता है जिससे शरीर में दर्द नहीं होता | अब वह नियमित पैदल स्कूल भी जाता है और दूसरों बच्चों के साथ खेलता भी है । कृष्णा के स्वास्थ्य में सुधार के कारण वह अपने दैनिक कार्य भी अच्छे से कर पाता हैं। कृष्णा की माँ ने पवन गुप्ता को आशीर्वाद देते हुए कहा की आप सब ने मदद किया है इसलिए मेरा बच्चा दुसरे बच्चों की तरह खेलता कूदता है | उसने कहा कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टर और दीदी लोग बहुत अच्छे हैं अस्पताल जाने पर सभी लोग उनके बच्चे का हाल-चाल पूछते हैं और बच्चे को प्यार से समझाते भी है | कृष्णा के माँ बहुत ख़ुशी से बोले जा रही थी बोलते-बोलते उसका गला भर आया और वह चुप हो गयी | कृष्णा की माँ के शांत होने पर पिता के आंख में आंसू भर आया और कहा की ऐसी बीमारी भगवान किसी दुश्मन को भी ना दे ।
दवाइयां सरकारी अस्पताल अमरकंटक से निःशुल्क मिलने के कारण परिवार का कृष्णा के इलाज पर होने वाला खर्च बंद हो गया है और उन पर जो कर्ज था उसे भी उन्होंने धीरे-धीरे चुका दिया है | वह नियमित काम पर भी जाते है जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है | घर खर्च के बाद जरूरत होने पर अन्य की मदद भी कर सकते है ।

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