झांसीः स्वभाव से गर्म और फायर ब्रांड नेता के रूप मे अपने को स्थापित करने का तमगा हासिल किये केन्द्रीय मंत्री उमा भारती आने वाले 2019 के आम चुनाव मे झांसी सीट पर भाजपा के लिये मुसीबत बनेगी? यह सवाल उमा भारती के क्षेत्र की लगातार उपेक्षा को लेकर खड़ा हो रहा है। वैसे भी उमा भारती ने साफ कर दिया है कि वो अब चुनाव नहीं लड़ेगी।
आपको बता दे कि 2014 के आम चुनाव मे मोदी लहर जमकर चली थी। लहर का अंदाजा भांपते हुये उमा भारती ने झांसी सीट को चुना था। आलम यह रहा कि सपा और कांग्रेस के दिग्गज नेता चन्द्रपाल सिंह यादव व प्रदीप जैन आदित्य को उमा भारती ने एक झटके मे पराजित कर दिया।
लोकप्रियता मे उमा से कम नहीं माने जाने वाले प्रदीप जैन आदित्य को उस चुनाव मे काफी नुकसान उठाना पड़ा। केन्द्रीय मंत्री रहते हुये क्षेत्र के लिये कराये गये विकास कार्य मोदी लहर मे ऐसे डूबे कि किसी ने ध्यान तक नहीं दिया कि प्रदीप जैन ने कोच कारखाना, कृषि विश्वविद्यालय, मेडिकल कालेज को एम्स की सुविधा, एयरपोर्ट आदि काम कराये।
चुनाव के दौरान उमा भारती ने बुन्देली जनमानस से काफी वादे किये। इसमे सबसे बड़ा वादा पृथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण का था। उमा ने कहा था कि सरकार बनने के तीन साल के भीतर वो राज्य निर्माण का रास्ता साफ कर देगी। चुनाव बीतने के बाद उमा भारती अपने सबसे बड़े वादे से मुकर गयी और मप्र व उप्र का हवाला देते हुये तर्क दिये।
इसके अलावा बुन्देली जनता को उम्मीद थी कि दीदी के सांसद बनने के बाद मंत्री बनने से झांसी-ललितपुर क्षेत्र का अप्रत्याशित विकास होगा। वो भी नहीं हो सका।
क्षेत्र की जनता सांसद को तलाशने मे ही लगी रही। महीने दो चार महीने मे क्षेत्र भ्रमण पर आने वाली उमा भारती पत्रकारो के सवालो से भी बचती रही। यही नहीं आरोप यह भी लगा कि उन्होने रवि शर्मा को यूपी सरकार के मंत्रीमंडल मे जगह मिलने से रोक दिया। इस आरोप मे कितनी सच्चाई है, यह तो आने वाले दिनो मे तय होगा, लेकिन उमा भारती की क्षेत्र के प्रति उदासीनता ने लोगो के दिल मे गुस्सा भर दिया है।
क्षेत्र की जनता भले ही भाजपा के साथ खड़े होने का दम भरे, लेकिन उमा भारती का नाम आते ही लोग पीछे हटने लगते हैं। ऐसे मे सवाल उठ रहा है कि आने वाले आम चुनाव मे भाजपा को क्षेत्र के लिये चेहरा मिलेगा या नहीं। उमा भारती के चुनाव लड़ने से इंकार के बाद माना जा रहा था कि विकल्प के तौर पर रवि शर्मा मैदान मे आ सकते हैं, लेकिन मंत्रीमंडल मे शामिल होने से पिछड़ गये रवि शर्मा अब उमा भारती की सीट से तौबा कर बैठे हैं।
ऐसे मे एक नाम उमा भारती के राजनैतिक उत्ताधिकारी के रूप मे बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा का सामने आ रहा है। राजीव जिस अंदाज मे पार्टी फोरम से लेकर संगठन स्तर पर सक्रियता दिखा रहे हैं, उससे लगता है कि दीदी का आशीर्वाद उन्हे मिल चुका है। यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उमा का विकल्प बनकर मैदान मे आने की मंशा दिखा रहे राजीव सिंह पारीछा लोगो के गुस्से का शिकार होते हैं या…?