नई दिल्ली 7 अगस्त। कहते हैं कि किसी की जिंदगी में बदलाव आने के लिए कब कौन सा मोड़ उसकी जिंदगी में आ जाए या उसे पता नहीं होता है। किस्मत चमकाने वाला यह मोड़ एम करुणानिधि की जिंदगी में एक शहर के नाम बदलने का विरोध को लेकर आया था। इस विरोध ने उन्हें दक्षिण भारत की राजनीति में कद्दावर नेता के रूप में स्थापित कर दिया था।
बताते हैं कि जिसमें डालमिया ने औद्योगिक शहर कलु कुड़ी मैं सीमेंट लगाने का प्लान बनाया था तब इसका थोड़ा बहुत तो हुआ, लेकिन डालमिया को दक्षिण भारत में उधोग का चमकता सितारा मानते हुए ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
यह बात यहीं खत्म नहीं होनी थी । दरअसल इसी मुद्दे से करुणानिधि को कद मिलना था। कलुकुड़ी का नाम बदलकर डालमिया पुरम कर दिया गया, तो लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।
तब यह बात उभरकर सामने आएगी जब यह मुद्दा दक्षिण भारत पर उत्तर भारत का कब्जा के रूप में देखा गया। बस फिर क्या था उस दौर के विरोध प्रदर्शन में करुणानिधि को इतना प्रचार मिला कि वह दक्षिण भारत की राजनीति में कद्दावर नेता के रूप में उभरकर सामने आए और उनकी डीएमके की राजनीति उछाल मारने लगी।