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गंगा एवं सहायक नदियों के लिए मन वाणी की शुद्धता से काम करना होगा

झांसी। गंगा समग्र के तीन दिवसीय(17,18,19 सितंबर )राष्ट्रीय अभ्यास वर्ग हरिद्वार में उदघाटन समारोह में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमंत रवींद्र पुरी (महानिवर्णी) ने कहा की गंगा एवं उसकी सहायक नदियों को अविरल और निर्मल बनाने के लिए आवश्यक है कि मन कर्म और वाणी की शुद्धता से कम किया जाए अगर ऐसा किया जाता है तो गंगा और उसकी सहायक नदियां अवश्य अविरल होगी। गंगा और अन्य जल तीर्थ को अविरल और निर्मलता के लिए काम करने वाले संगठन गंगा समग्र का तीन दिवसीय अभ्यास वर्ग श्यामपुर हरिद्वार के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमान रवींद्र पुरी ने आगे कहा कि गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के लिए योजना बनाते समय तात्कालिक परिस्थितियों को ध्यान रखना आवश्यक है ।उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष जी ने कहा गंगा को अविरल बनाने में सहायक नदियों को महत्वपूर्ण बताया । उन्होंने कहा कि सहायक नदियों को परोक्ष रूप में गंगा ही मनाना चाहिए ,इन्हीं का जल गंगा जी की धारा प्रबल करता है । उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया की गंगा एवं उसकी सहायक नदियों तालाबों के कार्य के लिए समाज के सभी वर्गों को जोड़ना आवश्यक है। गंगा समग्र की तीन दिवसीय अभ्यास वर्ग के समापन के मौके पर *सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले* ने कहा कि आज पंचतंत्र में एक जल पर गंभीर संकट है। दुनिया की अनेक संस्कृतियों की प्रवृत्ति बन गई है कि पहले चीज नष्ट करो फिर उन्हें सुधारने का अभियान चलाओ इसी का नतीजा है कि पंचतत्व खतरे में है, इन्हें बचाने के लिए जीवन शैली बदलनी होगी। यह संदेश भारत ने G20 सम्मेलन के जरिए पूरी दुनिया को दिया है उन्होंने गंगा को संपूर्ण जल का प्रतिनिधि बताया और कहा कि गंगा के कारण इतिहास है, इसी के कारण संस्कृति है, इसके कारण ही समृद्धि है ,गंगा है तो भारत है। अनेक कलाओं का विकास इसी के किनारे हुआ है भारत की आत्मा गंगा में है। उन्होंने तत्वों से समझाया की गंगा के बिना भारत की कल्पना भी संभव नहीं है। उन्होंने गंगा समग्र के कार्यकर्ताओं से कहा गंगा के साथ ही पर्यावरण की रक्षा के लिए जीवन शैली बदलने की पहल भी खुद करें फिर समाज का मानस बदलें। उन्होंने विश्वास जताया कि गंगा समग्र के कार्य की गति बताती है कि यह अभियान लक्ष्य हासिल करेगा। उन्होंने आवाहन किया कि लक्ष्य के प्रति कटिबद्ध होना चाहिए, नदी से यही सबक ले कि लक्ष्य से पहले रुकना नहीं है । दुनिया से ज्ञान लेना है लेकिन अपनी परंपराओं और संस्कृति को छोड़े बिना। इस मौके पर *परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद जी महाराज* ने कहा कि स्वयं को साधना ही साधना है। अध्यात्म और साइंस के बीच चल रहे टकराव पर उन्होंने चंद्रयान का जिक्र किया और कहा कि बाहरी स्पेस के लिए साइंस चाहिए लेकिन आंतरिक स्पेस के लिए आध्यात्मिक जरूरी है। सनातन पर उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि सनातन सर्वे भवंतु सुखिन: का संदेश देता है सबको रस देता है। समूची दुनिया सनातन की तरफ आशा भरी निगाह से देख रही है । भारत की महिमा विश्व में गूंज रही है। गंगा पर उन्होंने कहा कि इसका गंगतत्व दिव्य है । उन्होंने गंगा समग्र का आवाहन किया कि हर गांव के एक तालाब को ठीक कर दें यह बहुत बड़ा काम होगा। गंगा समग्र को सरकार के साथ सेतु बनाकर काम करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि गंगा रहेगी तो भारत रहेगा। मोदी सरकार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत महाभारत नहीं, महान भारत के रास्ते पर बढ़ रहा है गंगा समर के *राष्ट्रीय महामंत्री आशीष जी* ने गंगा समग्र की शुरुआत की पृष्ठभूमि बताई ।उन्होंने कहा कि छोटे कालखंड में ही इसका स्वरूप आज विशाल हो गया है यह 15 आयाम के माध्यम से गंगा एवं इसकी सहायक नदियों को निर्मल बनाने के महा अभियान में जुड़ा है ।कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह ने की ।तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में झांसी जिला संयोजक *राघव वर्मा को बुंदेलखंड भाग प्रमुख* का दायित्व दिया गया एवं झांसी की ही *श्रीमती अरुणा अग्रवाल को गंगा सेविका का प्रांत संयोजिका* एवं *राजेंद्र अग्रवाल जिला संयोजक ललितपुर को तालाब आयाम का प्रांत सह प्रमुख* बनाया गया इस मौके पर कानपुर प्रांत संयोजक राजेश तिवारी प्रांत संगठन मंत्री सूर्य प्रकाश शुक्ला के साथ पूरे देश से सैकड़ो कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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