झांसी। किसी भी प्रकार का अपराध रोकने के लिये शासन द्वारा तरह-तरह के नियम कानून बनाये जाते हैं, उन नियम कानूनों में एक नियम यह भी है कि मौजूदा सरकार में गौ हत्यायें रोकने के लिये विशेष कानून और धरपकड़ अभियान चलाया जा रहा है। स्लाटर हाउस भी बंद किये जा रहे लेकिन भ्रूण हत्यायें रोकने के लिये शासन ने जो नियम कानून बनायें हैं, वह सिर्फ कागजों में चल रहे हैं। लोगों को जीवनदान देने वाला जनपद का प्रमुखस्वास्थ्य विभाग कुंभकर्णी नींद में सो रहा है। मेडिकल कालेज के बाहर खुली नर्सिंग होम मण्डी में कसाई बाजार चल रहा है, जिसे रोकने वाला कोई नहीं है। अवैध तरीके से नर्सिंग होम, पैथोलॉजी, अल्ट्रासाउण्ड सेंटर व अन्य प्रकार के जांचों के केंद्र चलाये जा रहे हैं जिससे वहां पर जनता को इस तरह से लूटा जाता है कि उनकी जमीन, मकान और गहने तक बिक जाते हैं लेकिन उन्हें सही उपचार नहीं मिलता। भ्रूण हत्याओं का सिलसिला बदस्तूर जारी है। कार्यवाहीं सिर्फ कागजों तक सीमित है। इसे देखने सुनने वाला कोई नहीं है।
मालूम हो कि जनता को जीवनदान देने वाले बुन्देलखण्ड के नामचीन मेडिकल कालेज जिसका नाम महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज है। उसके बाहर का नजारा ऐसा होता जा रहा है कि जैसे कहीं सब्जी मण्डी चल रही हो। मेडिकल कालेज के बाहर सैकड़ों प्राइवेट अस्पताल, मेडिकल स्टोर, अल्ट्रासाउण्ड, एक्सरे सेंटर, पैथोलॉजी व अन्य प्रकार की जांचों के केंद्र संचालित हो रहे हैं। जिन केंद्रों को बिना नियम कानून के मुताबिक चलाया जा रहा है। कालेज के बाहर 8 से लेकर 15 फुट सकरी गलियों में बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी करके नर्सिंग होम खोले गये हैं जबकि शासन के नियमों के मुताबिक 30 से 40 फुट सड़क पर अस्पताल खोला जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद भी नर्सिंग होम खोलने के लिये अस्पताल संचालकों को सभी प्रकार की एनओसी दे दी गयी और उन्होंने अपनी दुकानदारी शुरू कर दी। शासन द्वारा गौ हत्या रोकने के लिये तो नियम कानून बनाये हैं जिसमें स्लाटर हाउस बंद किया जा सकता है और बंद भी हो रहे हैं, गौ हत्या रुक रही और नहीं भी रुक रहीं हैं। लेकिन जो लिंग अनुपात गिर रहा है, उसकी तरफ जिले का मुख्य स्वास्थ्य विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है। मेडिकल कालेज के बाहर गली-कूचों में बने छोटे अस्पतालों में भ्रूण हत्याओं का सिलसिला बदस्तूर जारी है। वहां पर प्राइवेट अस्पताल और अल्ट्रासाउण्ड सेंटर चलाने वाले जांच करने के बाद भ्रूण हत्यायें करा देते हैं। लेकिन उनकी कोई जांच नहीं होती।
मेडिकल कालेज क्षेत्र में पूर्व में ऐसे कई मामले उजागर भी हो चुके हैं लेकिन उन मामलों को स्थानीय पुलिस द्वारा ले दे कर निपटा दिया जाता है। ऐसा कोई दिन नहीं है जब मेडिकल कालेज के बाहर बनी नर्सिंग होम मण्डियों में कोई घटना न होती हो। मेडिकल कालेज में कार्यरत चिकित्सक भी अपनी पत्नी के नाम से कालेज के बाहर क्लीनिक और अस्पताल चला रहे हैं जबकि प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगी हुयी है। ऐसे कई अल्ट्रासाउण्ड सेंटर और पैथोलॉजी हैं जिनके पास रजिस्ट्रेशन नहीं है, लेकिन वे लोग धड़ल्ले से रक्त की जांचें और अल्ट्रासाउण्ड करते हैं तथा मनमाफिक तरीके से धन लूटते हैं। उस क्षेत्र में कई ऐसे स्थान भी हैं जहां पर बाहर बोर्ड लगा है अल्ट्रासाउण्ड सेंटर का और अंदर चल रही है पैथोलॉजी तथा पैथोलॉजी का बोर्ड लगा है और चल रहा है अल्ट्रासाउण्ड सेंटर। स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय समय पर वहां जाकर जांच भी की जाती है, लेकिन यह जांच कागजों तक सीमित रहती है। उस क्षेत्र में दिनप्रतिदिन पहाड़ी को काटकर नर्सिंग होम, दुकानें व अवैध निर्माण कराकर मेडिकल संबंधी दुकानें खुलवायी जा रही हैं। जिससे उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के कोई भी अधिकारी जवाब देने को तैयार नहीं हैं।
किसी भी इलाज का कोई शुल्क निर्धारित नहीं
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज के बाहर बनी नर्सिंग मण्डी में किसी भी इलाज का कोई शुल्क निर्धारित नहीं है और किसी भी जांच की कोई फीस निर्धारित नहीं है। जिस सेंटर संचालक को ग्रामीण दूरदराज क्षेत्रों से आये मरीजों से जो भी शुल्क लेना है, वह अपने हिसाब से लेते हैं और जबरन उन्हें लूटने का कार्य करते हैं। किसी चिकित्सक की मरीज देखने की फीस 200 रुपये है तो किसी की 500 रुपये और किसी की तो 1000 रुपये भी है। अगर किसी मरीज को रात्रि में तत्काल दिखाना है तो उससे 2 हजार रुपये फीस भी ले ली जाती है। अब सवाल यह उठता है कि मेडिकल कालेज होने के बावजूद मरीज वहां जाते ही क्यों हैं। नर्सिंग होम मण्डी में मरीजों के पहुंचने का मुख्य कारण दलाली है। मेडिकल कालेज के अंदर भी दलाल हैं और बाहर भी दलाल हैं। मरीज के मेडिकल कालेज पहुंचते ही उसे लुटने वाला रास्ता बता दिया जाता है। इस वजह से नर्सिंग होम मण्डी में तरह-तरह के सुविधा शुल्क लेकर गरीब जनता को लूटने का कार्य किया जा रहा है।