झांसी। अभी लोकसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी की ओर से समाजवादी पार्टी से संभावित गठबंधन को लेकर कोई फैसला नहीं किया गया है। इस फैसले से पहले झांसी संसदीय सीट के लिए प्रत्याशी के रूप में जुगल किशोर कुशवाहा की होर्डिंग नगर में लगना शुरू हो गई हैं। प्रत्याशी की घोषणा से पहले जुगल किशोर कुशवाहा की होर्डिंग के बाद यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या वह भी अशफाक की तरह पार्टी की प्रचार नीति का बलि का बकरा बन जाएंगे?
आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव में अशफाक को प्रत्याशी के रूप में इस कदर से प्रचारित किया गया था कि सभी लोग सकते में आ गए थे। उन्हें भी घोषणा से पहले होर्डिंग बैनर में प्रत्याशी घोषित कर दिया गया था। बाद में सीताराम कुशवाहा पार्टी की ओर से अधिकृत प्रत्याशी घोषित किए गए थे।
वैसे अभी यह साफ नहीं है कि बसपा की यह पहचान नीति किसके इशारे पर चलती है, लेकिन यह तय है कि इस नीति में कोई न कोई व्यक्ति बलि का बकरा बनाया जाता है । अब जिस तरह से लोकसभा चुनाव के लिए जुगल किशोर कुशवाहा इन दिनों प्रचार के जरिए सुर्खियां बटोर रहे हैं, जानकार मान रहे हैं कि वह भी इस नीति का शिकार हो सकते हैं!
जुगल किशोर कुशवाहा को प्रत्याशी बनाए जाने की बात पार्टी के नेता किसी तरह से स्वीकार करने के मूड में नहीं है । वह इस मामले में प्रतिक्रिया देने से भी बच रहे हैं । यहां सवाल उठ रहा है कि आखिर जुगल किशोर कुशवाहा किसके इशारे पर प्रत्याशी के रूप में अपना प्रचार कर रहे हैं? क्या उन्हें पार्टी की ओर से अधिकृत प्रत्याशी बना दिया गया है या उन्हें इस तरह के प्रचार के लिए निर्देशित किया गया है?
आपको बता दें कि जुहू कसूर कुशवाह पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में पहचाने जाते हैं लेकिन पार्टी की अंतिम समय में रणनीति बनाने की जगजाहिर परंपरा में जुगल किशोर कुशवाहा क्या फिट हो पाएंगे यह बड़ा सवाल है।
इधर जिस तरह से देश में महागठबंधन को लेकर चर्चा चल रही हैं ।उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर बयान भी आ रहे हैं। उसमें झांसी सीट किसके पाले में जाएगी यह अभी तय नहीं है । ऐसे में जुगल किशोर कुशवाहा का प्रत्याशी के रूप में प्रचार करना किसी के गले नहीं उतर रहा है। अब देखना दिलचस्पी है वह बाकी जुगल किशोर कुशवाहा आखिर कितने दिनों तक बसपा की ओर से प्रत्याशी के रूप में घोषित होने का इंतजार करते हैं?