झांसी। लोकसभा चुनाव 2019 की आहट अब तेज होने लगी है ।स्थानीय सांसद उमा भारती के मैदान छोड़ने का ऐलान दूसरे दावेदारों को गति देते हुए उनके चेहरे सामने ला रहा है। इन चेहरों में एक नाम उमा भारती के पीआरओ रहे डॉक्टर जगदीश सिंह चौहान का भी उभर कर सामने आ रहा है। इन दिनों चौहान के होल्डिंग बैनर सुर्खियां बटोर रहे हैं। चर्चा है जगदीश सिंह चौहान भी टिकट की दावेदारी कर सकते हैं।
वैसे तो आम चुनाव के लिए अभी 3 महीने से ज्यादा का समय है, लेकिन झांसी ललितपुर लोकसभा सीट से स्थानीय सांसद उमा भारती ने जिस तरह से भोपाल में चुनाव ना लड़ने का ऐलान किया, उसने इस संसदीय क्षेत्र में नए चेहरे को मौका देने का रास्ता साफ कर दिया है।
पार्टी से टिकट पाने के लिए दावेदारी कर रहे चेहरों में पूर्व मंत्री रविंद्र शुक्ला बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा सदर विधायक रवि शर्मा के साथ एक नया नाम डॉक्टर जगदीश सिंह चौहान का भी जुड़ रहा है। हालांकि यह सभी नाम अभी खुलकर टिकट की दावेदारी को लेकर किसी प्रकार का बयान देने से बच रहे हैं लेकिन इनकी सक्रियता और समर्थकों का जूस साफ जाहिर कर रहा है कि यह चेहरे संसद की दौड़ में अपना नाम बनाए रखना चाहते हैं।
इधर, एक और नाम रोहित राजपूत का भी सामने में आ रहा है, जो बहुत तेजी से होडिंग बैनर के जरिए संसदीय क्षेत्र में अपना प्रचार करते हुए दावा ठोक रहे हैं।
आपको बता दें कि इस बार जो चेहरे दावेदार की कतार में शामिल होते नजर आ रहे हैं उन्होंने अपने होर्डिंग में संयोजक लोकसभा जैसे शब्द का जिक्र कर भाजपा के लिए नई प्रचार शैली को जन्म दिया है ।
वैसे लोकसभा संयोजक का पद पार्टी की ओर से किस मामले को लेकर दिया गया, यह किसी की समझ में नहीं आया है, लेकिन प्रचार में संयोजक के सहारे दावेदारी का यह नया तरीका भाजपा में देखने को मिल रहा है।
भाजपा की ओर से दावेदारी के जितने भी नाम सामने आ रहे हैं उनमें सबसे ज्यादा चर्चा राजीव सिंह पारीछा के नाम की हो रही है। कहा जा रहा है कि उमा भारती की खास होने की वजह से उन्हें दावेदारी के लिए आगे किया जा रहा है। वह सोशल मीडिया पर अपने समर्थकों के जरिए सांसद के दावेदारों में खुद को आगे बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
वहीं डॉक्टर जगदीश सिंह चौहान भी उमा भारती खेमे के हैं । यह बात अलग है कि अपने कार्यकाल में उमा भारती ने चौहान को पीआरओ पद से बेदखल कर दिया था और दूसरी जिम्मेदारी दे दी थी, लेकिन चौहान को जिस तरह से पीआरओ पद से हटाया गया वह चर्चा का विषय बना रहा था ।
राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि उमा भारती ने भले ही चुनाव ना लड़ने का ऐलान किया हो, लेकिन वह इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए दावेदारों की लिस्ट में अपने लोगों का नाम शामिल कराए रखना चाहती है।
पार्टी के लिए स्थानीय स्तर पर उमा भारती के खिलाफ गुस्सा और चर्चित चेहरे की कमी ने चिंता की लकीरें भी खींच दी है। जानकार लोगों का मानना है कि लोकप्रियता के ग्राफ में वर्तमान में जिन चेहरों पर चर्चा का जोर जारी है, उसमें सदर विधायक रवि शर्मा सबसे आगे हैं। इसके अलावा पार्टी उनकी विधानसभा चुनाव में जीत को भी आधार मानने के लिए विचार कर सकती है।
पूर्व मंत्री रविंद्र शुक्ला खुद को कद्दावर चेहरा बनाने के लिए सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय हैं । दावेदारों की ओर से संसदीय क्षेत्र में फैंस क्लब के नाम से पेज भी बनाए गए हैं।
बरहाल टिकट के दावेदारों में जिस तेजी से नाम उभरकर सामने आ रहे हैं उसमें यह संकेत देने शुरू कर दिए हैं कि अब चुनावी दावेदार के औऱ भी विकल्प जनता के सामने आने वाले हैं।
बीते रोज अखबारों की सुर्खियों में एक विज्ञापन के जरिए जो चेहरा सामने आया वह भी भाजपा की ओर से दावेदार बन सकता है । वैसे अभी इस चेहरे में किसी पार्टी के नेता या सिंबल का अपने विज्ञापन में प्रयोग नहीं किया है।
बरहाल दावेदारों के चेहरे धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं, लेकिन मुश्किल यह है कि क्या कोई चेहरा पार्टी के लिए 5 लाख वोट जुटाने वाला साबित हो सकता है?