झांसी। बिल्डर संजय वर्मा पर हुए प्राणघातक हमले के बाद शहर की सुरक्षा व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। संजय वर्मा पर हमला उस जगह हुआ जहां से कोर्ट, कलेक्ट्रेट चंद कदमों की दूरी पर है, लेकिन असल मुद्दा दुश्मनी की गहराती उन जड़ों का है जो रह रहकर संजय को मौत के खौफ का आभास कराती रहीं हैं।
शनिवार को घटी घटना के बाद सबसे पहला शक संजय के दुश्मन नम्बर 1 माने जाने वाले सरदार सिंह के ही ऊपर गया, लेकिन सरदार तो अभी जेल में है। तो फिर संजय पर हमले का सूत्रधार कौन था। क्या साजिश जेल की चारदीवारी के भीतर रची गई और इशारे पर उसे अंजाम दे दिया गया ?
क्या एक दशक बाद वह बदले की आग एक बार फिर धधक उठी है, जिसमें संजय और सरदार अपने परिवार के एक-एक सदस्य को खूनी संघर्ष में खो चुके थे। या फिर कोई और है जो संजय वर्मा दुश्मनी भुना रहा है। कहीं जमीनी कारोबार तो नहीं इस खूनी खेल की वजह ? फिलहाल ताबड़तोड़ फायरिंग की घटना में अंगरक्षक जय गोस्वामी की मौत और संजय और साथियों के जख्मी होने के बाद पुलिस सतर्क हो गई है। संजय वर्मा के पुत्र संचित की तहरीर पर 12 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है.
गवाही का ‘सौदा और दगा’
सूत्रों की मानें तो कुख्यात अपराधी सरदार सिंह और संजय वर्मा के बीच चल रही मुकदमेबाजी को एक मध्यस्थ के माध्यम से खत्म करने की कोशिश हुई थी। लोग बताते हैं ”दोनों ही हत्या के मुकदमों में गवाहों को बदलवाकर मुकदमों से बरी करा दिए जाने का व्यवहारिक सौदा तय था। पहली गवाही संजय वर्मा के खिलाफ हत्या के मुकदमे में थी, जिसमें सरदार के इशारे पर गवाह मुकर गए और संजय बरी हो गए। बाद में जब सरदार सिंह के खिलाफ मुकदमे का वक्त आया तो संजय वर्मा ने खिलाफ गवाही को कोर्ट में बरकरार रखा। इसके बाद सरदार सिंह को सजा हो गई।” यहीं से दोस्ती की दहलीज पर आते-आते दुश्मनी की जड़ें एक बार फिर हरी हो गईं।
निजी सुरक्षा के साए में फिर भी कैसे चूके संजय-
सरदार सिंह गुर्जर की ताकत को भांपते हुए कई बार संजय वर्मा सुरक्षा की मांग भी कर चुके हैं। सुरक्षा नहीं मिलने पर उन्होंने निजी सुरक्षा गार्डों का तगड़ा घेरा बना रखा है। उनके घर के आस-पास से लेकर उनके चलने-फिरने के दौरान भारी सतर्कता बरती जाती रही है, लेकिन कचहरी तारीख पर पहुंचे संजय वर्मा क्या अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से बेफिक्र थे। जमीन के कारोबार में उनकी कई लोगों से प्रतिस्पर्धा रही है तो क्या सरदार के अलावा कुछ और दुश्मनों का भय भी संजय को सता रहा था।
इनके खिलाफ दर्ज हुई रिपोर्ट –
संचित वर्मा ने घटना के बाद पुलिस को लिखित तहरीर देकर 12 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है, इसमें 9 नामजद हैं. जिनके खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया उनमें लकार निवासी अंगद गुर्जर, ऊधम गुर्जर,प्रहलाद, राजेंद्र, शुभम पुष्पेन्द्र गुर्जर तथा चतुर्याना निवासी सोनू गेंडा, रिंकू और बाबी गेंडा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. तीन लोग अज्ञात हैं.