झांसीः क्या योगी और क्या मोदी। पैसा जेब मे रखो, नियम कानून के रखवाले सब कुछ आपकी जेब मे रख देगे। आंखे बंद कर लेगे। जब मामला पहाड़ सा हो जाएगा, सो कोर्ट है। स्टे ले लो। यदि किसी ने स्टे दिलाने की नौबत नहीं लायी, तो अवैध निर्माण की कड़़ी मे आपकी भी बिल्डिंग शान से लहराती रहेगी। नगर मे कई इमारतो के नियम विपरीत और मानको के पूरा ना होने के बाद भी धड़ल्ले से संचालन पर सवाल तो उठ रहे, लेकिन ना तो माननीय और ना ही विपक्ष की आंखे शर्म से नीचे होती है
आज जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी ने नगर मे स्टेशन रोड पर बन रही इमारत का निरीक्षण किया। जाहिर है कि बड़ा अधिकारी जाएगा, तो उसकी नजर कमजोरी पर पड़ेगी। अब यहां तो हर कदम पर गलत काम हो रहा था। सो, डीएम साहब के तेवर गर्म हो गये।
इन अधिकारी को कौन समझाये कि आपके ही अधीनस्थ यानि जिस विभाग के आप मालिक है, उसका पूरा कुनबा सड़ी-गली व्यवस्था का शिकार है। जेडीए को केवल पैसा वाले जानते हैं। वो लूट रहे और अधिकारी मनमाने तरीके से काम करने की छूट देने मे नहीं हिचक रहे।
अधिकारियो और कर्मचारियो की मानमानी को लेकर सवाल आज फिर उठा। डीएम को यह किसी ने नहीं बताया कि डमरू सिनेमा को बंद कर बहुमंजिला इमारत का निर्माण जेडीए ने किस शर्त पर दिया था।
वैसे भी शासन का नियम है कि यदि किसी सिनेमा घर को तोड़कर व्यावसायिक प्रयोग के लिये बिल्डिंग बनायी जाती है, तो उसमे सिनेमा घर का होना जरूरी है। झांसी के चालबाज और पैसा फेककर कानून को अपनी जेब मे रखने वाले लोगो ने कागज पर टाकीज दिखा दी और सोना बेचने का काम शुरू कर दिया।
काले कानून के सहारे करोड़पतियो की जमात मे शामिल हो रहे झांसी के दिमागदार लोगो पर ना तो प्रशासन और ना ही जनप्रतिनिधि अपनी नजर फेर पाते। सोने की चम्मच और जुगाड़ नीति इन दिमागदारो को सफलता दर सफलता दिलाती जा रही है। यहीं से सिस्टम के करप्ट होने की कहानी अपनी मजबूत जड़ के साथ बटवृक्ष मे बदल जाती है, आम आदमी सिर्फ देखता रह जाता है? यहां सवाल है कि क्या जिलाधिकारी ऐसी अन्य इमारतो की फाइल खोलेगे?