झांसी सीट पर वही पुराने चेहरे कब तक रिपीट होंगे?

झांसी लोकसभा चुनाव 2019 का राजनीतिक दलों ने बिगुल फूंक दिया है एक तरफ जहां विपक्ष गठबंधन में सीटें हथियाने की रणनीति को अंजाम देने में जुट गया है, तो वहीं सत्ता पक्ष अपनी साख को बचाए रखने की चुनौती के साथ मैदान में उतरने को बेताब है । इन सबके बीच झांसी संसदीय सीट के लिए एक सवाल लोगों के मन में उभर रहा है कि आखिर कब तक इस सीट पर वही पुराने चेहरे रिपीट होते रहेंगे।

लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में है हालांकि अभी दोनों दलों के बीच प्रत्याशियों के चयन को लेकर अंतिम निर्णय नहीं हो सका है लेकिन माना जा रहा है कि झांसी संसदीय सीट पर समाजवादी पार्टी अपना कब्जा ठोकेगी।

पार्टी स्तर पर मिली है चाहत के बाद संभावित प्रत्याशियों के चेहरे में जो नाम अब तक चर्चा के बाजार में सामने आ रहे हैं। उनमें सबसे ज्यादा वर्तमान राज्यसभा सांसद चंद्रपाल सिंह यादव का है । उनके नाम की चर्चा आने के बाद यह सवाल तेज हो गया है कि आखिर चंद्रपाल सिंह यादव ही क्या समाजवादी पार्टी की तरफ से चेहरा बने रहेंगे?

चंद्रपाल सिंह यादव का नाम आने के पीछे तर्क यह भी दिया जा रहा है कि वह पिछले कई सालों से गायब थे अचानक ही धरना प्रदर्शन और समारोह में शिरकत करते नजर आ रहे हैं।

चंद्रपाल सिंह यादव चुनावी लिहाज से देखें तो अपने परिवार में टिकट पाने के लिए भरसक कोशिश करते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में जहां उन्होंने उमा भारती को कड़ी टक्कर दी थी इसके बाद विधानसभा चुनाव में अपने बेटे को टिकट दिलाने में सफल रहे थे ।

यही नहीं लोकसभा चुनाव हारने के बाद वह जुगाड़ से राज्यसभा सांसद बनने में सफल रहे । ऐसे में यदि एक बार फिर लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में आते हैं, तो सवाल ये उठता है कि क्या राज्यसभा सांसद का पद उनकी नजरों में इतना कमजोर है?

भाजपा की ओर से वर्तमान सांसद उमा भारती ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है अब पार्टी की ओर से पूर्व मंत्री रविंद्र सिंह विधायक रवि शर्मा विधायक राजीव सिंह पारीछा गंगा चरण राजपूत का नाम सामने आ रहा है।
यह चेहरे हैं जो वर्तमान में पिछले कई सालों से राजनीति में चुनावी मैदान को सुशोभित करते रहे हैं।

इन चरों के साथ कांग्रेस की ओर से भी पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य का चेहरा सामने आ रहा है।

बुंदेली राजनीति में यदि गौर करें तो पिछले कई दशकों से इन चारों ने दूसरी लाइन के नेताओं को जन प्रतिनिधित्व करने का मौका ही नहीं दिया है या यूं कहें कि जनता के सामने पार्टी के लिए यह चेहरे मजबूरी से बन गए हैं।

वर्तमान में चुनाव साम, दंड भेद की कला का वो प्रदर्शन है, जो हर किसी के बस की बात नहीं है । तेजी से बदल रहे राजनैतिक परिद्रश्य में अब पार्टी सिंबल के साथ चेहरों को भी अपना पूरा दम लगाना पड़ता है।

शायद यही कारण है कि स्थापित हो सके इन चेहरों का विकल्प तलाशने की राजनीतिक पार्टियां भी हिम्मत नहीं जुटा पाती हैं। इस बात का पूरा लाभ इन चर्चित चेहरों के पक्ष में जाता है।

यदि गौर करें तो झांसी संसदीय सीट पर भाजपा की ओर से पूर्व में स्वर्गीय राजेंद्र अग्निहोत्री एक लंबे समय तक पार्टी का चेहरा बने रहे। यही हाल विधानसभा क्षेत्र के लिए रहा रविंद्र शुक्ला के बाद वर्तमान में रवि शर्मा पार्टी का चेहरा बने हुए हैं।

कांग्रेसमें प्रदीप जैन आदित्य के कद तक पहुंचने के लिए कांग्रेसियों की मशक्कत अब तक सफल नहीं हो पाई है । इसने पार्टी के सामने प्रदीप जैन को लोकप्रिय नहीं मानने के सवाल को कभी खड़ा ही नहीं किया।

आने वाले कुछ समय में चुनाव अपने पूरे रंगत में नजर आएंगे। जनता के सामने इन्हीं चर्चित चेहरों में से कई चेहरे सामने होंगे। राजनीतिक पार्टियां इन चेहरों के लिए वाईफाई करेंगे नारेबाजी होगी वादे किए जाएंगे। जनता की मजबूरी होगी कि वो इन चेहरों में से किसी एक को चुने या नकारे । ऐसे में लोग यही सवाल कर रहे हैं कि क्या झांसी संसदीय सीट पर राजनीतिक दल नए चेहरे को मौका देने का प्रयास या पहल करने की हिम्मत जुटा सकेंगे?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *