नई दिल्ली 24 नवंबर देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश इस समय मुश्किल के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने मानव अधिकारों के हनन बढ़ती असहिष्णुता और देश का ज्यादातर पैसा अमीरों की जेब में जाने से अमीर और गरीब के बीच की खाई को लेकर अपनी चिंता प्रकट की।
शांति सद्भावना और प्रसन्नता की ओर संक्रमण से परिवर्तन विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में पूर्व राष्ट्रपति का भाषण कई मायनों में अहम रहा।
समारोह में मुखर्जी ने कहा कि देश एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है जिस धरती ने वसुधैव कुटुंबकम और सहिष्णुता का सभ्यता मुल्क सिद्धांत स्वीकार्यता और क्षमा की अवधारणा दी। इन दोनों मानव अधिकारों के उल्लंघन, असहिष्णुता गुस्से की वजह से सुर्खियों में है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में संस्थान गंभीर तनाव में आए हैं और उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं सरकार और संस्थानों के कामकाज में व्यापक संदिग्धता और भ्रम है।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि जब राष्ट्र बहुलवाद और सहिष्णुता का स्वागत करता है तो वह विभिन्न समुदायों में सद्भाव को प्रोत्साहन देता है। हम नफरत के जहर को हटाते हैं और अपने रोजमर्रा के जीवन में ईर्ष्या और आक्रामकता को दूर करते हैं तो वहां शांति और भाईचारे की भावना आती है।