बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में इतिहास विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की गई रिपोर्ट :अनिल मौर्य

23 जून को सावधान दिवस के रूप में मनाया जाए : डॉ. अजय शंकर पाण्डेय

झांसी 23 जून । बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में शुक्रवार को “इतिहास सिखाता है, इतिहास दुहराता है ” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता पूर्व मंडलायुक्त झांसी डॉ़ अजय शंकर पाण्डेय ने ने 23 जून को “ सावधान दिवस” के रूप में मनाये जाने का प्रस्ताव दिया।
विश्वविद्यालय परिसर के गांधी सभागार में कला संकाय तथा इतिहास संकलन योजना द्वारा इस संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी का संचालन तीन सत्रों में किया गया, उ‌द्घाटन सत्र, तकनीकी सत्र और समापन सत्र । उद्घाटन सत्र में डॉ़ पाण्डेय ने कहा “ ‘इतिहास सिर्फ एक विषय नहीं जीवन है, जिसको आत्मसात करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है।प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को लड़ा गया था । उस कालखंड में समाज में व्याप्त आपसी फूट, भ्रष्टाचार,स्वार्थ, रिश्वतखोरी ,ईर्ष्या तथा द्वेष का परिणाम था कि प्लासी षडयंत्र कामयाब रहा।
इस युद्ध ने देश में अंग्रेजों के राज्य का सूत्रपात किया। ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं से सीख लेना बहुत जरूरी है। उस समय भारतीयों की हार के जो कारण थे वह आज भी समाज में किसी न किसी रूप में विद्यमान हैं। ऐसे खतरों से सावधानरहना जरूरी है इसलिए आज के दिन 23 जून को “ सावधान दिवस” के रूप में मनाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली डा. बालमुकुन्द पाण्डेय ने कहा- ‘इतिहास में क्रमबद्धता होती है, इतिहास लयात्मक होता है। इतिहास में तथ्यात्मक क्रमबद्धता होना चाहिए। अभी तक इतिहास को भी पश्चिमी इतिहासकारों की नजरों से देखा गया इसलिए अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नये सिरे से इतिहास सृजन का कार्य कर रही है।
संजय श्रीहर्ष मिश्र राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नयी दिल्ली ने कहा “ अब वह दिन दूर नहीं जब भारत का इतिहास, भारतीयों द्वारा, भारतीयों के लिए तैयार किया जायेगा।बुन्देलखण्ड का इतिहास संस्कृति का इतिहास है।
कुलपति प्रोफेसर मुकेश पाण्डेय ने कहा- “इतिहास सिखाता है। इतिहास आवश्यकता है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इतिहास अध्ययन को बल दिया गया है।”
विशिष्ट वक्ता पवन सिन्हा ने कहा- ‘अपना इतिहास पन्नों में छिपने न दो । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर के रत्नम ने कहा-‘भारतीय इतिहास हमारी अभिव्यक्ति, अभिरंजना है। इतिहास से हमको नकारात्मकत से सकारात्मकता की ओर चलना है सीख मिलती है।’स्वागत उद्बोधन प्रोफेसर मुन्ना तिवारी ने और संचालन : डा. अनुपम व्यास ने किया ।
संगोष्ठी का द्वितीय सत्र भी संजय श्रीहर्ष मिश्र की अध्यक्षता में हुआ। विशिष्ट वक्ता – श्री मुकुन्द महरोत्रा, डा. सुरेन्द्र पाल, डॉ० महेन्द्र उपाध्याय, डा राजेन्द्र खरे उपस्थित रहे। संचालन आनंद गोस्वामी ने किया। धन्यवाद शैलेंद्र तिवारी ने किया।संगोष्ठी में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के संबद्ध कालेजों के लगभग 50 अध्यापकों के शोध छात्रों ने सहभागिता किया। 22. शोध पत्रों का वाचन / प्रस्तुतिकरण हुआ।
इस अवसर पर बुन्देलखण्ड के इतिहासकार और समाजसेवी मुकुंद मेहरोत्रा, पुरातत्वविद डॉ एस के दुबे , शिक्षाविद डॉ नीति शास्त्री, बुन्देलखण्ड पर्यटन विकास एवं पुरातत्व सरंक्षण समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप तिवारी , डॉ. शैलेंद्र तिवारी, आनंद गोस्वामी, महेंद्र उपाध्याय, राजेंद्र खरे आदि को सम्मानित किया गया।

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