युवाओं से खुद को तराशने का आह्वान
झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिंदी संस्थान में आज संत कवि सियाराम शरण गुप्त की १२८ वीं जयंती पर विशेष कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धापूर्वक याद किया गया। वक्ताओं ने कहा कि सियाराम शरण गुप्त ने मानव और समाज की पीड़ाओं को अपने काव्य बखूबी व्यक्त किया। उन्होंने युवाओं से खुद को तराशने का आह्वान किया।
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिंदी संस्थान के डा. वृंदावन लाल वर्मा सभागार में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में राजेंद्र कुमार साहनी ने कहा कि सियाराम शरण जी का साहित्य अत्यंत समृद्ध है। उन्होंने विद्यार्थियों को सफलता के सूत्र भी दिए। उन्होंने कहा कि आज का समाज बदल रहा है। उन्होंने युवाओं से वर्तमान के अनुभवों को लेखन से व्यक्त करने का आह्वान किया।
साहित्यकार साकेत सुमन चतुर्वेदी ने कहा कि सियाराम गुप्त के आदर्शों को आत्मसात कर युवा अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं।
निहालचंद्र शिवहरे ने कहा कि सियाराम शरण गुप्त अत्यंत संवेदनशील व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी रचनाओं से समाज पर विशेष छाप छोड़ी।
एके हिंगवासिया ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है। उन्होंने ‘घर घर लंका, जन जन रावण, मैं सीता को छिपाऊं’ रचना सुनाई।
कार्यक्रम मुख्य अतिथि और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान के उपाध्यक्ष, राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा ने कहा कि बुंदेलखंड की धरती अनुपम है। यहीं भगवान के तीन अवतार हुए। उन्होंने कहा कि देश के बड़े बड़े साहित्यकारों का जमावड़ा यहां लगा रहता था। उन्होंने सियाराम शरण गुप्त की विशेषताओं को याद किया। उन्होंने कहा कि सनातनी परंपरा के सभी बड़े ग्रंथ इसी धरा पर रचे गए। चारों वेद और सभी १८ पुराण यहीं रचे गए। श्री कुशवाहा ने रामेश्वरम में भगवान श्रीराम के शिव लिंग पूजन का उल्लेख करते हुए उसके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि देश के पहले शिक्षा मंत्री का रिश्ता हिंदुस्तान से नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि देश के पहले शिक्षा मंत्री अब्दुल कलाम आजाद ने वामपंथियों के साथ मिलकर देश की संस्कृति को नष्ट भ्रष्ट करने का काम किया।
उन्होंने कहा कि वामपंथियों ने उन लोगों को महान बताया जिन्होंने हमारे देश पर आक्रमण किया। उन्होंने कहा कि इसी कारण समाज में लंपटों और भ्रष्टाचारियों की बाढ़ आ गई।
उन्होंने कहा कि संसार की सर्वश्रेष्ठ रचना श्रीरामचरितमानस है,यह बात मैक्समूलर ने भी मानी है। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विविधताओं का उल्लेख किया। उन्होंने विद्यार्थियों से भारतीय संस्कृति के विविध ग्रंथों का अध्ययन कर अपना ज्ञान बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने गुरु नानक की रचना का उदाहरण देते हुए विद्यार्थियों से दूब की तरह सदाबहार बने रहने का आह्वान किया। आचार्य रघुनाथ धुलकर को भी भावपूर्वक याद किया। उन्होंने युवाओं से खुद को तराशने का आह्वान किया।
उन्होंने लोगों का आह्वान किया समाज में गुनीजन को आदर दें ताकि समाज का यश न कुम्हलाए। सभी युवा बुंदेलखंड की धरती का यश बढ़ाएं यही सियाराम शरण गुप्त जी को श्रद्धांजलि होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उदय नारायण कनकने ने सियाराम शरण गुप्त को श्रद्धापूर्वक याद किया। उन्होंने कहा कि सियाराम शरण गुप्त जी का सही ढंग से मूल्यांकन नहीं हो पाया। हम चाहते हैं कि सियाराम शरण गुप्त के साहित्य का बखूबी मूल्यांकन हो।
कार्यक्रम के संयोजक प्रमोद गुप्त ने सभी के प्रति आभार जताया। इस मौके पर बताया गया कि प्रमोद गुप्त की नातिन अभिजिता गुप्त बहुत कम उम्र में कवयित्री के रूप में ख्याति बटोर रही है।
शुरुआत में हिंदी संस्थान के अध्यक्ष प्रो मुन्ना तिवारी ने सभी अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया।
इस कार्यक्रम में हिंदी संस्थान की डा. अचला पाण्डेय, डा. प्रेमलता, डा.सुधा दीक्षित, डा. सुनीता, डा. शैलेंद्र तिवारी, डा. पुनीत श्रीवास्तव, पत्रकारिता संस्थान के उमेश शुक्ल, वरिष्ठ व्यापारी नेता ललित जैन, पत्रकार सुदर्शन शिवहरे, अशोक श्रीवास्तव समेत अनेक लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम का
संचालन डा. श्रीहरि त्रिपाठी ने किया।