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भाजपा के राष्ट्रवाद के आगे गठबंधन टिक नहीं सका

दिल्ली 23 मई लोकसभा चुनाव 2019 की मतगणना के परिणाम धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। सभी 542 सीटों के रुझान सामने आ चुके हैं आंकड़े में जहां एनडीए के लिए लगातार 330 के पार का आंकड़ा नजर आ रहा है, तो वहीं भाजपा 2014 के आंकड़ों को और बेहतर करती नजर आ रही है ।

संभव है कि भाजपा इस बार 290 के पास जाकर टिके । यानी कमल ने इतिहास में ऐसा इतिहास रचा है कि पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ वापस आ रही है।

अगर सब कुछ रुझानों के मुताबिक ही सामने आता है तो देश के इतिहास में ये पहली बार होगा जब कोई गैर-कांग्रेसी सरकार अकेल दम बहुमत के साथ सत्ता में लौटी हो।

अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में भाजपा ने तीन बार सरकार जरूर बनाई लेकिन कई दलों की बैसाखी के साथ। जो मौका-बेमौका भाजपा पर दबाव बनाते रहते थे।

अभी तक यह माना जाता रहा है कि बसपा प्रमुख मायावती को अपना जनाधार शिफ्ट करने में महारत हासिल है लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में ऐसा होतो दिख नही रहा है। इस गठबंधन में बसपा को तो फायदा हो रहा है लेकिन सपा नुकसान में है, इसका मतलब यह हुआ कि बसपा का परंपरागत वोट सपा को ट्रांसफर नहीं हो पाया।

माना जा रहा है कि ओबीसी का एक बड़ा वर्ग नरेन्द्र मोदी से प्रभावित रहा है, जबकि नॉन जाटव दलित बीजेपी और गठबंधन के बीच बंटे होने के बावजूद यादव, दलित और मुस्लिम के साथ मिल जाने से भी गठबंधन, मोदी की लोकप्रियता का सामने टिक नहीं पाया।

बीजेपी राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों के साथ चुनाव में उतरी थी और रुझान बता रहे हैं कि देश राष्ट्रवाद के साथ है

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