मदरसा अल जामियातुल राज़्ज़ाकिया सोसायटी आस्ताना-ए- सरकारे बांसा व अपिया हुजूर में रोजा इफ्तार का आयोजन
*झांसी।* मदरसा अल जामियातुल राज़्ज़ाकिया सोसायटी आस्ताना-ए- सरकारे बांसा व अपिया हुजूर महाराज सिंह नगर पुलिया नंबर 9 झांसी में संस्था के प्रबंधक सूफी मुहम्मद अफराज हुसैन सिद्दीकी कादरी रज़्ज़ाकी नियाज़ी की जे़रेसरपरस्ती में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गुरुवार को 10 वें रमजान के अवसर पर रोजा इफ्तार का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें जनपद झांसी के सैकड़ों की तादात में हिन्दू -मुस्लिम सहित सर्व समुदाय के लोग मौजूद रहे। इस दौरान मुस्लिम धर्मगुरुओं, हाफिज व कारीयों ने रमजान की फजीलत बयान कर देश में अमन और सुकून, आपसी भाई-चारे की दुआ की गई।
आस्ताना-ए- सरकारे बांसा व अपिया हुजूर में हकीदतमंदों ने दसवें रमजान में नन्हे मुन्ने बच्चों सहित महिलाएं व सैकड़ों की तादात मे लोगों ने रोजा इफ्तार किया इस दौरान सूफी मुहम्मद अफराज हुसैन सिद्दीकी कादरी रज्जाकी नियाज़ी ने बताया कि यहां मुस्लिम समाज सहित सर्वसमुदाये के लोग आस्ताना अपिया हुजूर से जुडे हैं अकीदतमंदों ने सामूहिक रूप से एक साथ बैठकर रोजा इफ्तार में हिस्सा लिया। उन्होंने रमजान शरीफ के मुबारक महीने व मुबारक दिन पर रोशनी डालते हुए बताया कि अल्लाह तआला फरमाता है के जो रोजेदार अपना खाना पीना और अपनी ख्वाहिश, मेरे लिए छोड़ देता है, इंसान अपनी ज़ाहरी व बातनी नफ्स पर पाबंदी करता जिससे अल्लाह बहुत खुश होता है, इसका बदला अल्लाह ही देगा। उन्होंने बताया कि इस माह खासतौर पर हर नेकी का सवाब 70 गुना मिलता है, लेकिन रोजे का सवाब इससे कहीं ज्यादा मिलता है।
इस दौरान मुफ्ती अशफाक साहब ने मग़रिब की नमाज पढाने से पूर्व रमजान की खासियत और रोजा इफ्तार कराए जाने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया कि एक रोजेदार को जो कोई इफ्तार कराए अल्लाह ताला उसे ज्यादा सवाब देता है। इस अवसर पर मौलाना हाफिज व शहर काजी पेश इमाम जमा मस्जिद, हाफिज मौलाना इमरान, कारी सलीम अहमद, मुफ्ती जमील अशफाक, हाफिज सलमान, हाफिज मौलाना निजामी मियां, ने नमाज़ और रमजान की फजीलत बयान की । इस अवसर पर हाजी अब्दुल वाहिद, सैयद बशारत अली, आरिफ खान, नसीम, सलीम, राम सहाय, इंतजार अली, पूर्व पार्षद जमील भूरे, हाजी अब्दुल गनी, सिराज, संजय, आशिक, आसिफ, मेहताब, सुल्तान, सादिक, रहमान, एहसान, अरबाज, हाजी सलीम, बबलू भाई, मुमताज मास्टर, अलीम अहमद , सैय्यद नियाज , कदीम, मौजूद रहे। संचालन मौलाना हाफिज कारी जमील साहब ने की।