बेगलुरू 19 मईः अपनी पिछली गलतियो से सबक लेते हुये कांग्रेस ने इस बार कनार्टक मे मैनजमेन्ट काफी सख्त और गोपनीय रखा। यही कारण रहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लाख प्रयास के बाद भी कांग्रेस ने जीत हासिल नहीं होने दी।
जानकार बता रहे है कि कनार्टक मे हार से बचने के लिये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूरा जिम्मा अपने सीनियर साथियांे पर छोड दिया था। कहा था कि वो इतनी गोपनीयता से काम करे कि किसी को कानो-कान खबर तक ना हो सके। विधायको को अपने पाले मे रखने से लेकर कोर्ट तक का सामना करने का प्लान बेहद सीक्रेट रहा।
जानकार बताते है कि इस पूरी प्रक्रिया मे पर्दे के पीछे से सोनिया गांधी ने अहम भूमिका निभायी।
कांग्रेस ने बीजेपी से अपने विधायकों को बचाने के लिए शुरु से ही तैयारी कर रखी थी. नतीजे आने के बाद 24 घंटे के अंदर ही कांग्रेस ने अपने विधायकों से हस्ताक्षर करा लिए. इसके बाद सभी विधायकों को अपने निगरानी में रखा. बीजेपी के पाले में जाने से बचाने के लिए कांग्रेस की ओर से डीके शिवकुमार ने विधायकों को कमान संभाली. उन्होंने पहले विधायकों को अपने रिजॉर्ट में रखा.
बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाली रात में ही कांग्रेस ने अपने विधायकों को बस के जरिए हैदराबाद पहुंचाया. वहीं दिल्ली में बैठे कांग्रेसी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देकर मामले को कानूनी लड़ाई में तब्दील कर दिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 24 घंटे का समय तय कर दिया.
कांग्रेस ने अपने विधायकों को हैदराबाद से दूसरे दिन ही बेंगलुरु वापस लेकर आई. कांग्रेस नेताओं ने अपने विधायकों पर बकायदा निगरानी रखी. डीके शिवकुमार ने विधायकों को सदन में ले जाने से पहले क्लास ली और कहा कि कोई भी विधायक किसी भी बीजेपी नेता कोई बातचीत नहीं करेगा. इतना ही नहीं बीजेपी नेता के उकसाने पर किसी तरह को कोई रिएक्ट नहीं करना है और न ही उनसे लड़ना है.
सदन की कार्यवाही शुरू होने के ऐन वक्त पर कांग्रेसी विधायकों को विधानसभा पहुंचे. कांग्रेस नेताओं को पहले ही आदेश था कि सदन की कार्यवाही स्थागित होने पर विधानसभा नहीं छोड़नी है. सदन में ही रहना है. इसी के चलते विधायकों की शपथ के बाद लंच के लिए जब दो घंटे के लिए सदन को स्थागित किया तो कांग्रेसी विधायकों को बाहर नहीं निकलने दिया गया. उनकी जगह पर ही उन्हें खाने के पैकेट उपलब्ध कराए गए.
कांग्रेस की इस रणनीति के तहत बीजेपी चाहकर भी कांग्रेसी विधायकों से संपर्क नहीं कर पाई. इसी का नतीजा था कि कांग्रेस खेमे से गायब विधायक प्रताप गौड़ा पाटिल और आनंद सिंह वापिस सदन में आ गए. इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने उन्हें अपनी निगरानी में खाना खिलाया और अपने पास ही बैठा लिया.