नई दिल्ली 25अप्रैलः डोकलाम विवाद के बाद भारत और चीन के रिश्ते बेहद खराब हो गये थे। आज उन्ही रिश्तांे मंे ऐसी मिठास घुल गयी है कि कहा जा रहा है कि दोनांे देश आने वाले सौ साल के लिये दोस्ती का खाका तैयार करेगे। मोदी के स्वागत को लेकर चीन मंे सभी प्रोटोकाल तोड़े जा रहे हैं।
सभी तरह के प्रोटोकाल को तोड़ते हुए वुहान में एक अभूतपूर्व अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की तैयारी की जा रही है, जैसा कि अब बेहतर ताकतवर बन चुके राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पहले किसी विदेशी नेता के लिए नहीं किया था. वह पहली बार इस तरह के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं, इसलिए सबको इससे काफी उम्मीदें हैं.
राजीव गांधी के दौरे से तुलना
चीनी मीडिया में पहले पेज पर इस बारे में जमकर खबरें चल रही हैं और मोदी के वुहान दौरे की तुलना राजीव गांधी के 1988 के दौरे से की जा रही है.
साल 1988 में राजीव गांधी की मेजबानी करने वाले पूर्व नेता देंग जिआयोपिंग के अनुवादक रह चुके गाओ झिकाई ने कहा, ‘साल 1988 में राजीव गांधी की यात्रा ने दोनों देशों के बीच रिश्तों में जमा बर्फ को तोड़ा था. पीएम मोदी की यह यात्रा एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि भारत और चीन दोनों पिछले वर्षों में काफी बदल गए हैं और महत्वपूर्ण चुनौतियों एवं लक्ष्यों का सामना कर रहे हैं. इस बार के शिखर सम्मेलन से भारत और चीन के बीच दोस्ती काफी मजबूत होगी और दोनों देशों के रिश्ते एक नए आयाम को हासिल करेंगे. मैं समझता हूं कि इससे एक नए तरह का रिश्ता बनेगा जिसमें उम्मीद है कि सभी अवरोध और अड़चनें खत्म हो जाएंगी.’