समाधान ही परंपरा बनती है’- डॉ. पी. सी. लाल यादव

अनूपपुर (मध्य प्रदेश, राजेश शिवहरे) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय अमरकटक विश्वविद्यालय के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग में 25 मई को जनजातीय समुदाय के बीच स्वदेशी ज्ञान की अनूठी प्रथाओं और डिजिटल भारत में इसकी प्रासंगिकता विषय पर दो दिन के राष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन का आज समापन हुआ । भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सौजन्य से आयोजित इस संगोष्ठी में भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी, मुख्य अतिथि और दैनिक भास्कर डि जिटल ,छत्तीसगढ़ के प्रमुख डॉ. विश्वेश ठाकरे विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। लोक संस्कृतिकर्मी डॉ. पी. सी लाल यादव ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रुप में शिरकत की। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, भारत सरकार के पूर्व महानिदेशक प्रो.एम मोनी और माइक्रोसॉफ़्ट के भारतीय भाषाएँ और सुगम्यता के निदेशक डॉ. बालेन्दु शर्मा दाधीच ने ऑनलाइन माध्यम से सभा को संबोधित किया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में Y20 के आयोजनों की भी शुरुआत हुई।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. पी. सी. लाल यादव ने अपने संबोधन में कहा “स्वदेशी ज्ञान परंपरा संस्कृति को क्षरण से बचाएगी”, साथ ही उन्होंने पंडवानी और रामायनी कथाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि जनजातियों के अपनाए गये समाधान ही आगे उनकी परंपरा बनाती हैं।
भारतीय जनंसचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि प्रकृति के पास रहने वाले जनजातीय समाज को अज्ञानी समझा जाता है जबकि जनजातीय समुदाय व्यापार एंव चिकित्सा के परमज्ञानी हैं। मुख्य अतिथि ने यह भी कहा कि हम जब भी न्याय की सूची देखेंगे तब जनजातीय समाज को सबसे उपर पाएँगे।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री विश्वेश ठाकरे जी ने अपने वक्तव्य में जनजातीय समाज के औषधियों के पारंपरिक ज्ञान के सराहना की। श्री ठाकरे ने इस बात पर जोर दिया कि जनजातीय मूल ज्ञान और संस्कृति को उचित डिजिटल आयामों से जोड़ा जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी इससे लाभान्वित हो सके।
माइक्रोसॉफ़्ट के भारतीय भाषाएँ और सुगम्यता के निदेशक डॉ. बालेन्दु शर्मा दधीच का रिकॉर्डेड विडियो संदेश भी सुनाया गया। उन्होंने भारत के भाषाओं के संकट और भाषाओं के विकास पर चल रहे कार्यक्रमों से अवगत कराया।
साथ ही राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, भारत सरकार के पूर्व महानिदेशक प्रो.एम मोनी ने जनजातीय समुदाय के आर्थिक विकास, डिजिटलीकरण पर बल दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी ने किया उन्होनें अपने संबोधन में वसुधैव कुटुंबकम् के ध्येय, भारत के ऋषि और कृषि परंपरा का ज़िक्र किया।
इस संगोष्ठी की संयोजक पत्रकारिता और जनसंचार विभाग की संकायाध्यक्ष और विभागाध्यक्ष प्रो. मनीषा शर्मा ने स्वागत उद्बोधन किया। कार्यक्रम के दौरान प्रो. भूमिनाथ त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय मे आगामी दिनों में होने वाले Y-20 कार्यक्रमों के बारे में अवगत कराया तथा प्रो. राघवेन्द्र मिश्रा के धन्यवाद ज्ञापन किया।

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