नई दिल्ली 9 जनवरीः सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को पलटते हुये कहा कि सिनेमाघरो मे फिल्म से पहले जनमन बजाना अनिवार्य नहीं है। इसे सिनेमा मालिक के विवेक पर छोड़ा जा सकता है कि वो जनमन बजाएं या नहीं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए थे कि वह एक दिसंबर 2016 के अपने आदेश में सुधार कर सकता है. इसी आदेश के तहत देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने के मकसद से सिनेमाघरों में फिल्म के प्रदर्शन से पहले राष्ट्रगान बजाना और दर्शकों के लिये इसके सम्मान में खड़ा होना अनिवार्य किया गया था.
न्यायालय ने कहा था कि जब राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान दर्शाया जाता है, तो यह मातृभूमि के प्रति प्रेम और सम्मान को दर्शाता है. न्यायालय ने श्याम नारायण चोकसी की जनहित याचिका पर सभी सिनेमाघरों में फिल्म का प्रदर्शन शुरू होने से पहले अनिवार्य रूप से राष्ट्रगान बजाने के निर्देश दिए थे.
शपथपत्र दाखिल कर कहा था कि सिनेमाघरों में फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाना और उस दौरान खड़ा होना अनिवार्य न हो. सरकार की ओर से कहा गया था कि मंत्रालय समिति अभी इस पर विचार कर रही है. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने पांच दिसंबर को अंतर मंत्रालय समिति का गठन किया था.
केंद्र सरकार ने हलफनामा देकर सुप्रीम कोर्ट से अपने 2016 के आदेश में सुधार की भी अपील की थी. केंद्र सरकार ने कहा था कि हालांकि अंतर मंत्रालय समिति इस पर विचार कर रही है, लेकिन कोर्ट खुद ही राष्ट्रगान की अनिवार्यता में ढील दे दे तो बेहतर होगा.