नई दिल्ली 28 सितंबर केरल के सबरीमाला मंदिर को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को जायज ठहराते हुए रुक को हटा दिया है सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने चार एक से महिलाओं के पक्ष में फैसला दिया आपको बता दें कि करीब 800 साल पुराने इस मंदिर में यह मान्यता लंबे समय से चली आ रही थी कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ना करने दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा जस्टिस चंद्रचूड़ जस्टिस खानविलकर और जस्टिस नरीमन ने महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सबरीमाला मंदिर के पक्ष में फैसला दिया।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने अपने फैसले में कहा कि आस्था के नाम पर किसी से भेदभाव नहीं किया जा सकता खासकर लिंगभेद। उन्होंने कानून और समाज का काम सभी को बराबर से देखने को कहा।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को लेकर दोहरा मापदंड उनके सम्मान को कम करता है उन्होंने कहा कि भगवान अय्यप्पा के भक्तों को अलग-अलग धर्मों में नहीं बांटा जा सकत।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 25 के मुताबिक सभी बराबर हैं. समाज में बदलाव दिखना जरूरी है, व्यक्तित्व गरिमा अलग चीज है. पहले महिलाओं पर पाबंदी उनको कमजोर मानकर लगाई गई थी.
सबरीमाला मंदिर के लेकर जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अपने निर्णय में कहा कि धार्मिक आस्था ओं को आर्टिकल 14 के आधार पर नहीं मापा जा सकता उन्होंने कहा कि आस्था से जुड़े मामले को समाज ही तय करें ना कि कोर्ट।
उन्होंने कहा कि सबरीमाला श्राइन के पास आर्टिकल 25 के तहत अधिकार है, इसलिए कोर्ट इन मामलों में दखल नहीं दे सकता है. उन्होंने कहा कि धार्मिक मान्यताएं भी बुनियादी अधिकारों को हिस्सा ही है.