Headlines

हॉकी के भगवान ध्यानचंद के शहर में प्रतिभाओं की कमी नहीं :रियाज

ओलंपिक में भारत की हॉकी टीम से देशवासियों को है पदक की उम्मीद

झांसी| भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व कप्तान ओलंपियन/अर्जुन अवॉर्डी एन. मोहम्मद रियाज ने खेल विश्लेषक बृजेंद्र यादव से बातचीत में कहा है कि ओलंपिक विश्व का सबसे बड़ा खेल आयोजन होता है, इस बार भारतीय हॉकी टीम से देश वासियों को बहुत उम्मीद ही है, कि वह मेडल का रंग बदल कर भारत आए।
रियाज ने कहा कि हॉकी के भगवान मेजर ध्यानचंद की नगरी से अभी कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी जूनियर भारतीय टीम में खेल रहे हैं। हॉकी जादूगर के जन्मदिन पर राष्ट्रीय खेल दिवस पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है लेकिन उन्हे भारत रत्न न मिलना हम सभी को चुभता है मेरा मानना है कि भारत सरकार उन्हे भारत रत्न से जरूर नवाजेगी।
उन्होंने कहा कि डी के अंदर मिले हाफ चांस को गोल में कनवर्ट करना होगा और टीम के हर एक खिलाड़ी को अपनी क्षमता से अधिक मैदान पर प्रदर्शन करना होगा।
रियाज का मानना है कि मिडफील्डर स्ट्राइकर्स के लिए गोल करने का मौका बनाते हैं, जबकि विपक्षी टीम को गोल करने से रोकते हैं। उन्होंने कहा, डिफेंडर्स चैंपियनशिप जिताते हैं जबकि फॉरवर्ड मैच जिताते हैं।
अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित रियाज एक खिलाड़ी के अलावा एक कोच के रूप में भी काफी सफल रहे हैं।
उनके मार्गदर्शन में भारतीय सीनियर्स और जूनियर्स टीम ने 2011 में चीन में आयोजित एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में स्वर्ण और रजत पदक जीते थे। इसके अलावा टीम ने 2011 में चैंपियंस चैलेंज हॉकी चैंपियनशिप दक्षिण अफ्रीका में रजत और पोलैंड में आयोजित जूनियर यूरोपीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे।
रियाज अब अपना खाली समय मैदान में जूनियर खिलाड़ियों को खेलने की तकनीक के लिए टिप्स दे रहे हैं।

उन्होंने कहा मैं अपने पुराने स्कूल के 15 छात्रों के लिए मुफ्त कोचिंग और उनकी शिक्षा में भी सहयोग कर रहा हूं। मैं कोविलपट्टी अकादमी के खिलाड़ियों को भी कोचिंग देता हूं। मैं अपने अनुभवों को हमेशा जूनियर्स के साथ साझा करना चाहता हूं।

रियाज ने मौजूदा भारतीय हॉकी टीम को लेकर कहा कि भारतीय टीम दुनिया में शीर्ष पांच में है और पदक की संभावनाएं बहुत दूर नहीं हैं।

उन्होंने कहा, पहले जर्मनी, स्पेन और हॉलैंड जैसे देश अधिकांश टूर्नामेंटों के सेमीफाइनल में प्रवेश करती थीं। लेकिन अब विश्व हॉकी का परिदृश्य बदल गया है और कम रैंकिंग वाली टीमें अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और चैंपियनशिप जीत रही हैं।
पूर्व भारतीय कप्तान रियाज 1996 और 2000 ओलंपिक, विश्व कप 1994 और 1998 तथा एशियाई खेल 1994 और 1998 में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके अलावा वह 2002 में बेल्जियम में और 2004 में जर्मनी में पेशेवर लीग में भी खेल चुके हैं।

पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान ने कहा कि हॉकी उनके खून में दौड़ता है। उनके पिता मोहम्मद नबी भी एक अच्छे खिलाड़ी और अंतर्राष्ट्रीय रेफरी थे। और उनकी बेटी और बेटा भी स्केव्श खेल में जूनियर भारतीय टीम के सदस्य है।

रियाज के बड़े भाई तमिलनाडु के लिए जबकि छोटा भाई राष्ट्रीय टीम के लिए खेल चुके हैं।
रियाज ने कहा कि 1989 की राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप उनके करियर के लिए एक टर्निग प्वाइंट था।
अर्जुन अवॉर्डी रियाज 1990 से 2000 तक भारत के लिए 290 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। फिलहाल वह एयर इंडिया में उप महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *