41 दिवसीय साधना पूरी कर बाहर आये महंत राधामोहन दास महाराज
– हवन, पूजन कर की कुंजबिहारी सरकार की आरती, दर्शनों को उमड़े श्रद्धालु
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झांसी। ग्वालियर रोड स्थित कुंजबिहारी मंदिर पर कार्तिक रास पूर्णिमा के अवसर पर शुक्रवार को प्रात: से ही श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लग गयी। भोर की पौ फटते ही, जैसे-जैसे भगवान भास्कर ने आसमान से जमीन पर अपनी किरणें बिखेरी कि ठीक उसी गति से श्रद्धालु भी मंदिर परिसर में एकत्रित होते गये। थोड़े ही देर में भारी संख्या में श्रद्धालु भक्तजन कुंजबिहारी मंदिर में एकत्रित हो गये। मौका था गुरुदेव भगवान के दर्शनों का। इस मौके का हर कोई अलभ्य लाभ लेना चाहता था।
स्मरण रहे कि बुन्देलखण्ड धर्माचार्य महंत राधामोहन दास महाराज अपनी 41 दिवसीय एकांत साधना पूर्ण कर साधना कक्ष से बाहर निकले। साधना कक्ष से महंत के बाहर आते ही श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा करते हुए आत्मीय स्वागत कर गुरुदेव के दर्शन किये।
साधना कक्ष से आते ही महंत राधामोहनदास ने अखण्ड ब्रह्माण्ड नायक भगवान कुंजबिहारी जू एवं उनकी प्राण प्रियतमा राधारानी जू की महाआरती उतारी।
इससे पूर्व शास्रत्री जी रामलखन उपाध्याय के द्वारा उच्चारित वेदमंत्रों के साथ महाराज श्री के साथ मंदिर के साधु संतों ने हवन कुंड में आहुति देकर विश्व कल्याण की कामना की। मंदिर में विविध धार्मिक आयोजनों के साथ मंगल गीत गाये गये।
इस मौके पर श्रद्धालुओं को भजन का मर्म बताते हुए महंत राधामोहनदास महाराज ने कहा कि भगवान के नित्य स्मरण से मन बचन और काया सहित पूरा अंतःकरण शुद्ध हो जाता है जिससे दैहिक, दैविक और भौतिक आदि जितने प्रकार के ताप हैं, उन सबका नाश हो जाता है।इसलिए सदैव पिया प्रीतम का स्मरण करते हुए भगवान कुंजबिहारीजू की सुंदर छबि के दर्शन करें और सदैव सुंदर बिचार मन में रखें। दूसरों से ईर्षा एवं द्वेष भाव कतई न रखें।उन्होंने कहा कि भगवान के दर्शन हेतु मंदिर में आने वाले लोग भी दर्शन करके मंदिर में ही बैठकर मोबाइल चलाने लगते हैं जो ठीक नहीं है। इससे सावधान करते हुए उन्होंने कहा कि मंदिर में जितनी देर बैठे उतनी देर मोबाइल की जगह हाथ में माला लेकर बैठे और भगवान का स्मरण करें जिससे आपका कल्याण होगा। महाराज श्री ने युवाओं को नशे से दूर रहने की सलाह दी साथ ही नारी शक्ति का आवाहन करते हुए कहा कि वे स्नान ध्यान और भगवान के दर्शन करके ही प्रतिदिन किचिन में जाकर भोजन बनाने की आदत डालें। उन्होंने कहा जिन घरों में महिलायें टीवी पर नाटक देखकर भोजन बनाती है उन घरों के पुरुष भी वह भोजन कर कुछ न कुछ नाटक ही करते है।
सायंकालीन वेला में समाज गायन कर बुंदेलखण्ड के ख्याति लब्ध कलाकारों ने शास्त्रीय संगीत की धुन पर मधुर भजन प्रस्तुत कर देर रात्रि तक भगवत रस की वर्षा की। इस अवसर पर मंदिर में विराजमान सभी विग्रह मूतियों का अभिषेक उपरांत मनमोहक श्रृंगार किया गया।
उल्लेखनीय है कि कुंजबिहारी आश्रम की परम्परानुसार वर्ष 2013 से महंत राधामोहनदास प्रतिवर्ष एकांत साधना करते आ रहे हैं। इससे पूर्व ब्रह्मलीन महंत बिहारीदास महाराज ने लगातार पिछले 50 वर्षों तक प्रतिदिन 41 दिवसीय एकांत साधना की थी। किंतु तब से उक्त गद्दी पर महंत राधामोहनदास महाराज आसीन हुए तब से गुरु जी की आज्ञानुसार 2013 से वे अनवरत प्रतिवर्ष 41 दिवस की एकांत साधना कर परम्परा का निर्वाहन कर रहे
हैं। इस मौके पर श्रीधाम वृंदावन से पधारे संत राधाबल्लभ, महंत माधवदास जी सेंमरी,आचार्य रामलखन उपाध्याय,महंत पवनदास , बालकदास , मनमोहन दास, पार्षद लखन कुशवाहा, पूर्व पार्षद सुजीत तिवारी, देवेंद्र दुबे, गुरजीत चावला सहित सैकडों श्रद्धालु मौजूद रहे।
*भगवान को नहीं लगेगा बाहर से लाया गया भोग*
बुंदेलखण्ड धर्माचार्य महंत राधामोहन दास महाराज ने मंदिर प्रांगण में कार्तिक रास पूर्णिमा पर आयोजित धर्म सभा में ऐलान करते हुए कहा कि भगवान कुंजबिहारी सरकार को अब बाजार से लाये गये किसी भी प्रकार की मिठाई अथवा पकवान का भोग नहीं लगाया जायेगा।मंदिर में ही गाय के घी से बना हुआ प्रसाद प्रतिदिन भगवान को लगाया जायेगा। अतः कोई श्रद्धालु प्रसाद हेतु बाजार से खरीदकर कोई भी मिष्ठान प्रसाद हेतु न लेकर आयें,बाहर से लाये हुए फल अथवा सूखे मेवे का भोग भी लगाया जायेगा।