लखनऊ। कुंवर रघुराज प्रताप सिंह ने कहा कि लोगों को बांटकर नहीं सबको साथ लेकर राजनीति करेंगे। कानूनी कार्रवाई या मुआवजा देने के लिए जाति के आधार पर लोगों को क्यों बांटा जा रहा है? अगर दलितों को हत्या-बलात्कार के मामले में मुआवजा दिया जा रहा है तो सवर्ण या पिछड़ों को भी यह अधिकार क्यों नहीं मिल रहा? एसएसटी एक्ट के नाम पर एक वर्ग को बिना जांच के गिरफ्तारी का अधिकार मूल अधिकारों का हनन है लेकिन सभी पार्टियां सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने के लिए एकजुट हो गईं। आरक्षण पा चुके अधिकारियों को आरक्षण के लाभ से दूर किया जाए। हम इन्हीं मुद्दों के साथ राजनीति में उतर रहे हैं और लोगों के हक की आवाज उठाएंगे।
ये बातें 25 वर्ष से यूपी की राजनीति में निर्दलीय विधायक के तौर पर पहचाने जाने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने कहीं। उन्होंने निर्दलीय विधायक के तौर पर 25 वर्ष पूरे होने पर रजत जयंती सम्मान समारोह के बहाने पहली बार राजनीतिक रैली का आयोजन कर अपनी ताकत का एहसास कराया। साथ ही इस मौके पर अपनी नई पार्टी जनसत्ता बनाने के संकेत भी दिए।
दलित अफसरों को आरक्षण के दायरे से करें बाहर
उन्होंने एससी-एसटी वर्ग में एक सामंत वर्ग पैदा होने की बात कही। कहा-इस वर्ग में भी जो अफसर-धनाढ्य हो गए हैं वह इसी वर्ग के गरीबों-छोटे लोगों से संपर्क नहीं रखते, गैर बराबरी की बात करते हैं। आरक्षण का लाभ भी केवल इन्हीं वर्गों को मिलता है। जो आरक्षण का लाभ पा चुके हैं उन्हें आरक्षण के दायरे से हटाया जाए और इसी वर्ग के गरीबों को यह लाभ दिया जाए।
रमाबाई मैदान में शुक्रवार को प्रदेश के विभिन्न जिलों से भारी संख्या में पहुंचे समर्थकों की भीड़ ने राजा भैया की पहली रैली के जरिए राजनीतिक दल बनाने के जोश को दोगुना कर दिया।
सुबह से ही बसों और निजी वाहनों से समर्थक रैली स्थल पर जुटने लगे। पुलिस-प्रशासन ने भी सत्ता का रूख भांपकर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे। तय समय से करीब दो घंटे देरी से पहुंचे राजा भैया को ब्राह्मण, पटेल-पासी, क्षत्रिय सहित अन्य समाज के लोगों ने सम्मानित किया।
सेना-अद्धसैनिक बलों के शहीदों को मिले एक करोड़
राजा भैया ने कहा कि 1993 में 25 वर्ष के युवा को कुंडा के लोगों ने राजनीति में उतारा और लगातार अपना समर्थन बनाए रखा। अब कुंडा प्रदेश की कुंडली लिखेगा। यहां रैली में प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा देश के विभिन्न राज्यों और नेपाल तक से लोग पहुंचे हैं। पार्टी के नाम के लिए चुनाव आयोग में प्रक्रिया चल रही है। जनसत्ता दल, जनसत्ता पार्टी या जनसत्ता लोकतांत्रिक पार्टी में से कोई नाम मिलेगा। हम राजनीतिक दल बनाकर अब सियासत में उतरेंगे। जिन मुद्दों पर अन्य पार्टियां मौन हैं उन्हें ही अपने एजेंडे में शामिल किया है। मजदूर, किसान, जवान और नौजवान यह हमारी पार्टी के अहम हिस्से होंगे, इनकी समस्याएं हमारे एजेंडे में होंगी। बिजली, पानी, खाद समय से मिले, किसानों को फसल का पूरा दाम मिले, गन्ना किसानों का भुगतान हो। सेना-अर्द्धसैनिक बल के जवानों के शहीद होने पर परिवार को एक करोड़ रुपये और अन्य मदद मिले।
हत्या बलात्कारा का मुआवजा सभी जातियों को मिले
राजा भैया ने जातिगत वैमनस्यता पर कहा कि राजनीतिक दल सबको बांट रहे हैं। हम साथ लेकर चलेंगे लेकिन किसी एक को जैसे हत्या या बलात्कार के लिए मुआवजा मिलता है अन्य सभी को भी मिले। हम किसी को रोकने के लिए नहीं कह रहे हैं, मुआवजे का विरोध नहीं कर रहे हैं, हमारी मांग है कि सबको दिया जाए। बेटियां तो हर जाति-बिरादरी की बराबर हैं तो किसी एक जाति के लिए अलग प्रावधान क्यों? दलित या अन्य किसी को मिल रही सुविधाएं एक बराबर होनी चाहिए
तो किसी एक जाति के लिए अलग प्रावधान क्यों? दलित या अन्य किसी को मिल रही सुविधाएं एक बराबर होनी चाहिए, समानता की मांग करना कोई अपराध नहीं होता है। हमारी लड़ाई समानता के लिए है।
एससीएसटी एक्ट को बनाया जा रहा है जटिल
उन्होंने एससी-एसटी पर कहा कि किसी भी दलित नेता या दल या संगठन ने इस एक्ट को कड़ा करने की मांग नहीं उठाई। वर्ष 1989 में राजीव गाँधी के बनाए एससी / एसटी एक्ट को तब से आज तक दिन प्रतिदिन जटिल बनाया जा रहा है। यह जातियों में बैर बढ़ाने के लिए किया गया।
हर वर्ग का सहयोग
राजा भैया ने मंच से अपने पुराने लोगों को याद किया। इसमें कौशाम्बी से सांसद-विधायक रहे शैलेंद्र कुमार, पूर्व विधायक विनोद कुमार सरोज, हाजी मुन्ना और प्रतापगढ़ के जिला पंचायत अध्यक्ष उमाशंकर यादव विशेष रहे। इसके अलावा उनके सहयोगी और इस पूरे आयोजन के कर्ताधर्ता अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी के लिए उन्होंने कहा कि यह सारा प्रबंधन उनके जारिए ही संभव था।
अपने लोगों से अपनी बोली
मंच पर पहुंचे राजा भैया ने जब बोलना शुरू किया तो उत्साही नवयुवक नारेबाजी करने लगे। इस पर उन्होंने भाषण रोक कर अपनी बोली में कहा, ‘नारेबाजी बंद कइ द, तनि सुन ल जा’। अपने लोगों से अपनी भाषा में जुड़ाव पर भीड़ में जबरदस्त उत्साह आ गया और बहुत देर तक नारेबाजी होने लगी। राजा भैया के समर्थक “जय-जय-जय रघुराज, जय-जय राजा भैया” के नारे लगा रहे थे।
केवल गुर्जर, राजपूतों के वोट नहीं
राजनीतिक गलियारों में उठ रही आशंका को राजा भईया ने खुद शांत करते हुए कहा कि वह केवल राजपूतों के वोट से राजनीति में इतना लम्बा सफर तय नहीं किए। उन्होंने कहा कि कुंडा में चार लाख मतदाताओं में से केवल 12 हजार राजपूत मतदाता हैं लेकिन हर बार वह रिकार्ड मतों से जीतते हैं। यह कहकर उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि वह सबको साथ लेकर चलेंगे।