नई दिल्ली 9 जनवरी। लोकसभा 2019 के लिए विशाल बिक चुकी है। पक्ष और विपक्ष के हाथ में अब तक जो हथियार थे वो मोदी सरकार के 1 स्ट्रोक के बाद धराशाई हो गए हैं और अब मैदान में केवल आरक्षण को लेकर जंग के हालात नजर आने लगे हैं।
कल जिस तरह से सरकार ने लोकसभा में 10% आरक्षण वाले बिल को पारित करा लिया और आज राज्यसभा में इसे पारित कराने के लिए विपक्ष के सामने चुनौती के रूप में पेश कर दिया है। उसने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पक्ष और विपक्ष चुनाव में आरक्षण को लेकर मैदान में आएगा।
सामान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण का हथियार मोदी सरकार के लिए दुधारी तलवार साबित हो सकता है । यदि यह कार्ड चल जाता है तो मोदी सरकार को अब तक विपक्ष के जितने भी झेलने पड़े हैं उससे वह उभर कर सामने आ सकती है।
यदि ऐसा नहीं होता है तो एक संभावना जो उभर कर सामने आ रही है, उसमें दूसरे विपक्षी दल भी अन्य जातियों के लिए अब तक आरक्षण की सीमा की मांग बढ़ाने को लेकर मैदान में खड़े नजर आ सकते हैं । इसके बाद आरक्षण की सीमा को लेकर जंग छेड़ने के पूरे हालात हैं।
10% आरक्षण ने अब तक राफेल समेत अन्य मुद्दों को पीछे धकेल दिया है। नीरव मोदी माल्या और नोटबंदी जैसे मुद्दे पर चर्चा से गायब है। इसके अलावा पांच राज्यों में बीजेपी को मिली शिकस्त भी चर्चा से बाहर हो गई है।