झांसी-आखिर शहर क्षेत्र मे बीजेपी को चुनौती क्यो नहीं दे पाए विपक्षी?

झांसीः निकाय चुनाव मे  मेयर व सभासद के लिये हुयी मतगणना के बाद जो स्थिति सामने आयी, उसने एक बात तो साफ कर दी कि अधिकांश प्रत्याशी झांसी के शहरी इलाके मंे अपनी पकड़ मजबूत नहीं कर पाये। यानि यहां बीजेपी को चुनौती देने मे  सभी फेल हो गये। यही कारण रहा कि बीजेपी का प्रत्याशी शुरूआती दौर मे  पिछड़ने के बाद शहरी इलाके के मतदाताओ  के आशीर्वाद से विजेता बन गया।

बुन्देली राजनीति मे  झांसी का शहरी इलाका काफी अहम माना जाता है। शहरी इलाके से मतलब यह नहीं कि शहर मे  रहने वाले लोग। झांसी शहर प्रमुखता तीन इलाको मे  बंटा है। इसमे  शहर, सीपरी, सदर और नगरा शामिल हैं।

राजनैतिक हिसाब से देखे, तो शहर का इलाको अब तक भाजपा का मजबूत गढ़ रहा है। एक समय था, जब पूर्व मंत्री प्रदीप जैन आदित्य इस गढ़ मे  अपनी पकड़ रखते थे।

प्रदीप को शहरी इलाके मे  मिलने वाली आशीर्वाद ने विधायक, सांसद का तोहफा दिया।

निगम चुनाव मे  एक बार फिर शहरी इलाके की ताकत सामने आ गयी। इस क्षेत्र मे  विपक्ष के डमडम, प्रदीप जैन, राहुल सक्सेना अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं करा सके।

 

शहर क्षेत्र मे  मिश्रित आबादी रहती है। हिन्दू, मुस्लिम आबादी का मिश्रण कहे जाने वाले शहरी इलाके मे  ब्राहमण, वैश्य समुदाय अधिक संख्या मे  है। यही कारण है कि यहां के मतदाता का रूझान जीत हार की गारंटी बन जाता है। इस बात को विधायक रवि शर्मा बहुत अच्छी तरह समझते है। निकाय चुनाव मे  रवि शर्मा ने अपना पूरा फोकस शहरी क्षेत्र मे  रखा। इससे इतर विपक्षी दल के प्रत्याशियो  ने दूसरे इलाको मे  फोकस किया।

बसपा प्रत्याशी डमडम नगरा इलाके पर अधिक जोर देते रहे। उन्हे  परिणाम भी अपने अनरूप मिले, लेकिन शहरी इलाके की उपेक्षा उन्हे  भारी पड़ गयी। शहरी इलाके का ब्राहमण, वैश्य व अन्य वर्ग का मतदाता बसपा और कांग्रेस को छोड़ बीजेपी के पाले मे  चला गया।

इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मतगणना के 12 वे राउंड तक डमडम आगे चल रहे थे। जैसे की शहरी इलाके के वोट गिनती मे  आयी, स्थिति पलट गयी। यहंा बीजेपी की पकड़ जोरदार थी, सो डमडम को करीब 17 हजार मत से हार का सामना करना पड़ा। जानकार मान रहे है कि यदि वोटिंग प्रतिशत 60 से उपर होता, तो जीत का आंकड़ा 30 हजार से उपर चला जाता। जैसा कि विधायक रवि शर्मा के चुनाव मे  देखने को मिला था।

कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप जैन आदित्य क्यों शहरी इलाके मे  अपनी पकड़ मजबूत नहीं कर पाये, यह सोचनीय प्रश्न है?

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *