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नेताजी जन्मदिन मना लिया, पब्लिक भी कुछ मांग रही

झांसीः बुन्देली माटी मे जन्मे कुछ नेताओ को यदि जनता के करीब माना जाता है, तो उसमे एक नाम चन्द्रपाल सिंह यादव का भी आता है। राज्यसभा सांसद चन्द्रपाल भले को जनता ने संसद की दहलीज तक नहीं पहुंचाया हो,लेकिन जितने भी साथ रहे, उनकी आवाज आज भी चन्द्रपाल के कानो मे नहीं पहुंच पा रही। यह सवाल उठ रहा है।
समाजवादी पार्टी के गठन से लेकर अब तक के राजनैतिक सफर मे चन्द्रपाल सिंह यादव पार्टी के लिये बुन्देलखण्ड मे धुरी बने रहे। पार्टी के अंदर मचे घमासान मे उन्होने पाला बदला, लेकिन निष्ठा पार्टी से ही बनाये रखी।




वैसे तो चन्द्रपाल सिंह यादव ने सपा से हर बार विधायक, सांसद पद के लिये दावेदारी की। विधायक बने भी। सांसद बनने की तमन्ना दिल मे रह गयी। दिल की इस टीस को उन्होने पर्दे के पीछे से पूरा किया। राज्यसभा मे प्रवेश कर संदेश दिया कि जनता भले की संसद की दहलीज तक जाने वाला ना बनाये,लेकिन वो राज्यसभा मे जाने की पूरी ताकत रखते हैं। यहां सवाल यह नहीं है कि जनता ने उन्हे नकारा या फिर वो अपनी कमियो के चलते सांसद नहीं बन पाये।
सवाल यह है कि जनता के लिये लड़ने का माददा कितनी बार चन्द्रपाल सिंह यादव ने उठाया? जनहित के मुददो पर सड़क पर संघर्ष अब चन्द्रपाल सिंह यादव के लिये बीते दिनो की बात हो गया है। एक वो दौर था, जब चन्द्रपाल लाठी खाने से गुरेज नहीं करते थे।
शेर से चिंघाड़ने वाले चन्द्रपाल सिंह यादव का राजनैतिक दौर शान्त राजमार्ग पर चलने जैसा हो गया है। जानकार इसके पीछे के कारण मे दूसरी जमात के नेताओ के पार्टी मे बढ़ते कद और चन्द्रपाल सिंह यादव का परिवार को राजनीति मे आगे करने का इरादा मानते हैं। परिवार को स्थापित करने का ताजा उदाहरण अपने बेटे यशपाल सिंह को बबीना से चुनाव लड़ाना है।
आज जब चन्द्रपाल सिंह यादव का जन्मदिन है, तो शुभकामनाएं देने वाले खूब आये। कुछ लोगो ने दबी जुबान से कह ही दिया कि नेताजी ने जनता के लिये कुछ करते हुये भी कुछ नहीं किया। दर्द यह रहा कि सीपरी का ओवर ब्रिज समय पर बनवा देते। सपा शासन मे पार्टी को हाशिये पर जाने से बचा लेते। जनता से जुड़ने की नीति नहीं बना पाए। यही कारण है कि जनता हमेशा सवाल करती है कि नेताजी जनता को देने मे पीछे क्यो रहते हैं? अभी भी सवाल यही है कि क्या राज्यसभा सांसद बनकर नेताजी जनता को कुछ नहीं दे सकते? यदि दिया है, तो क्या?
सवाल बहुतेरे हैं। जनता का मन है। मचलेगा, आप ही संभाल सकते हैं। वैसे एहसास तो होगा कि बंगले पर फरियादी कितने आ रहे?

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