नई दिल्ली 19 मार्चः आम चुनाव की आहट ने बुन्देली माटी को भी राजनैतिक रंग मे रंगना शुरू कर दिया है। वैसे तो माटी का प्रतिनिधित्व करने वाले चेहरे का चयन करने का दायित्व पार्टियो पर है। पर, जनता के बीच चेहरे की शोहरत जीत का अन्तर बढ़ाने और घटाने मे अहम भूमिका निभायेगी। यह बात नये कप्तान राहुल गांधी बाखूबी समझते हैं। संकेत है कि राहुल गांधी के नेतृत्व मे शेर की तरह दहाड़ने को आतुर कांग्रेस से बुन्देलखण्ड की झांसी लोकसभा सीट पर प्रदीप जैन आदित्य की दावेदार काफी मजबूत मानी जा रही है। वैसे जानकार मान रहे है कि पार्टी सफलता के लिये प्रदीप जैन आदित्य पर ही दांव लगायेगी?
बुन्देली माटी मे यदि कांग्रेस का इतिहास देखे, तो यहां शुरू से ही पार्टी अपना जनाधार बनाये रही है। बदले वक्त मे जो नये चेहरे सामने आये, उनमे प्रदीप जैन आदित्य पार्टी के जनाधार को ठोस बनाने मे कामयाब रहे।
दरअसल, प्रदीप जैन छात्र राजनीति से ही सबसे पसंदीदा रहे। आम लोगो के बीच अपनत्व के भाव ने उन्हे राजनीति के शिखर पर तेजी से उभरने का मौका दिया। काग्रेस मे भी वो अपनो के बीच कार्यकर्ता की हैसियत से रहे। मंत्री पद के दौरान भी प्रदीप ने अपने को कार्यकर्ताओ और जनता से दूर नहीं रखा। यही कारण है कि लोग उनके स्लोगन सहज मुलाकात, सीधी बात पर विश्वास रखते हैं
गौर करे, तो पाते है कि पिछले विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस का सपा से गठबंधन रहा। सीट कांग्रेस के खाते मे आयी। प्रत्याशी के रूप मे राहुल राय मैदान मे थे, लेकिन मैनेजमेन्ट प्रदीप जैन आदित्य के कंधे पर रहा। सपा से दोस्ती और वोटर को अपने पाले मे करने के लिये प्रदीप की सटीक रणनीति का ही नतीजा रहा कि राहुल राय करीब पचास हजार मत पाने मे सफल रहे।
प्रदीप जैन आदित्य ने खुद 2004 से लेकर दो बार विधायक का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। बुन्देली माटी की हृदयस्थली कही जाने वाली झांसी मे दूसरे दल मे सिर्फ भाजपा की कांग्रेस को टक्कर दे सकी। सपा और बसपा कभी जीत का स्वाद नहीं चख सकी। एक बार बसपा के विधायक के रूप मे कैलाश साहू जरूर जीते, लेकिन उनकी जीत पर सवाल भी उठते रहे। उस चुनाव मे भी कांग्रेस ने प्रदीप के सहारे वोटर को अपने पाले मे बनाये रखने मे सफलता प्राप्त की थी।
राजनैतिक जानकार मानते है कि बुन्देली माटी मे कांग्रेस आज भी अपने वोटर को बचाये रखने मे इसलिये कामयाब है, क्येकि प्रदीप जैन आदित्य सफल रणनीति और साफ नियत से मतदाताओ के बीच जाने वाले नेता माने जाते हैं। बुन्देली शान के रूप मे पहचाने जाने वाले प्रदीप जैन आदित्य को लेकर बनाया गया स्लोगन आज भी हिट है। सहज मुलाकात, सीधी बात।
पिछले लोकसभा चुनाव मे जब मोदी लहर चरम पर थी, उस दौरान भी प्रदीप जैन आदित्य ही थे, जिन्होने उमा भारती जैसे कद वाले नेता का मुकाबला किया। सपा के चन्द्रपाल सिंह यादव सत्ता का साया पाने के बाद भी जीत के करीब नहीं पहुंच सके।
दरअसल, प्रदीप जैन आदित्य का वोटर के करीब रहने का सबसे बड़ा कारण उनका सहज सरल स्वभाव के साथ पार्टी लाइन पर चलना है। पार्टी के निर्देश पर प्रदीप जैन ने मेयर का चुनाव लड़ा। जबकि वो इस सीट के लिये दूसरे प्रत्याशी को मैदान मे उतारना चाहते थे। मेयर सीट के लिये मैदान मे आने के बाद प्रदीप ने दिखा दिया कि अकेले दम पर वो वोटर का विश्वास हासिल करने की क्षमता रखते हैं। उन्हे मेयर चुनाव मे करीब 31 हजार मत मिले, जो यूपी मे हाल मे हुये उप चुनाव मे अन्य प्रत्याशियो के मुकाबले कहीं ज्यादा रहे। फूलपुर मे कांग्रेस प्रत्याशी महज 15 से 20 हजार के बीच मत पा सका। इस चुनाव मे राज बब्बर जैसे नेता ने पूरी ताकत लगा दी थी।
वहीं प्रदीप जैन आदित्य मध्य प्रदेश मे हुये उप चुनाव मे स्टार प्रचारक की सूची मे शामिल किये गये, तो उन्होने प्रचार करके पार्टी को जीत दिला दी।
यानि वोटर के गणित के हिसाब से देखे, तो प्रदीप जैन का कद आज भी मतदाताओ की आंख से उतरा नहीं है। यही कारण है कि बीते दिनो दिल्ली मे हुये महाअधिवेशन के बाद यह सुगबुगाहट तेज हो गयी है कि प्रदीप जैन आदित्य ही 2019 के चुनाव मे पार्टी का चेहरा होगे।