अनूपपुर (मध्य प्रदेश राजेश शिवहरे)इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक के वनस्पति विज्ञान विभाग में भारत सरकार के विज्ञान मंत्रालय एवं साइंस और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड द्वारा प्रायोजित “जैव विविधता संरक्षण के लिए पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण: वर्तमान प्रथाएँ और चुनौतियाँ” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन एवं कार्यशाला का आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। कार्यशाला का विमोचन प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी (कुलपति) की अध्यक्षता तथा मुख्य अतिथि डॉ. डी. के. उप्रेती, वरिष्ठ पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सी.एस.आई.आर.राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ। कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने अपने उद्बोधन में कहां कि ‘हम जिस धरा पर हैं वह जैव विविधता से परिपूर्ण है। माँ नर्मदा का यह क्षेत्र शोध के लिए अत्यंत उपयुक्त है मुझे पूरा विश्वास है कि इस कार्यशाला से प्राप्त निष्कर्ष से न सिर्फ क्षेत्र का विकास होगा बल्कि संपूर्ण मानव जीवन के लिए उपयोगी साबित होंगे’। कार्यशाला का प्रारंभ सचिव डॉ. नयन साहू, प्राध्यापक, वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा इकोफिजियोलॉजी विषय और जलवायु परिवर्तन के विभिन्न आयामों पर चर्चा से हुई। डॉ. नयन साहू ने इकोफिजियोलॉजी विषय और जैव विविधता संरक्षण में प्रयुक्त तकनीक और उनमे आने वाली कठिनाइयों के बारे में विस्तृत रूप से बताया। कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ प्रो. अवधेश कुमार शुक्ल ने कार्यशाला के विषय में एवं वनस्पति विज्ञान विभाग में उपलब्ध शोध सुविधाओं के बारे में विस्तृत रूप से सभा को सम्भोधित किया। कार्यशाला में इसरो के सहयोग से अमरकंटक छेत्र में स्थापित फेनो मेटिरोलॉजिकल टावर का अनावरण श्याम सुंदर बजाज, महानिदेशक, छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ। डॉ. नयन साहू ने फेनो मेटिरोलॉजिकल टावर द्वारा मापित फेनोलॉजी से संबंधित विभिन्न मापदंडों के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. एल. बी. चौधरी, पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, सी . एस. आई. आर- एन. बी. आर. आई. द्वारा हेर्बरियम और जैव विविधता संरक्षण के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला गया। उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर से आए हुए वैज्ञानिक डॉ. अविनाश जैन ने मध्य भारत के प्राकृतिक वनों में जैव विविधता व कार्बन कैप्चर पर व्याख्यान दिया वहीं डॉ. धीरज गुप्ता ने वनों में सुदूर संवेदन तकनीक तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग विस्तृत रूप से समझाया। गुरु घासी दास केंद्रीय विश्विद्यालय, बिलासपुर के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो. अश्वनी दीक्षित ने सतत विकास लक्ष्य और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ पर व्याख्यान दिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व वरिष्ठ प्रो. अनुपम दीक्षित ने जैव विविधता संरक्षण का मानव जाति के कल्याण विषय पर व्याख्यान दिया। केंद्रीय सिल्क बोर्ड बिलासपुर के वैज्ञानिक, डॉ महेंद्र सिंह राठौर, ने जलवायु परिवर्तन का टसर रेशम उद्योग पर प्रभाव के बारे में व्याख्यान दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ पूर्व वैज्ञानिक डॉ. डी. के. उप्रेती ने लाइकेन की जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण को मापने में उपयोगिता पर चर्चा की, बनारस हिंदू विश्विद्यालय के पूर्व वरिष्ट प्रोफेसर एन.के. दुबे ने भारत के एथनो मेडिसिनअल प्लांट्स के उपयोगों पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य के महाविद्यालयों के प्राध्यापको सहित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रो. भूमिनाथ त्रिपाठी, प्रो. राघवेन्द्र मिश्रा, प्रो. तन्मय गोराई, प्रो. आलोक पंड्या, प्रो. तरुण ठाकुर, प्रो. टी. शेखर सहित अन्य विभागों के आचार्य, सह आचार्य, प्राध्यापकों सहित शोध छात्र एवं छात्राओ ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. रविन्द्र शुक्ला, प्राध्यापक, वनस्पति विज्ञान विभाग ने किया प्रो. नवीन कुमार शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।