नई दिल्ली 25 अप्रैलः उप्र के शाहजहांपुर की नाबालिग दलित लड़की के यौन शोषण के मामले मे पिछले चार साल से जेल मे बंद आशाराम बापू को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। उन्हे आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है। फैसला सुनते ही कोर्ट मंे रो पड़ा आशाराम। बाकी आरोपियांे को 20-20 साल की सजा सुनायी गयीहै।
आसाराम का असली नाम असुमल थाउमल हरपलानी है. उसका परिवार मूलतः सिंध, पाकिस्तान के जाम नवाज अली तहसील का रहनेवाला था, लेकिन भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद उसका परिवार अहमदाबाद में आकर बस गया था.
बताया जाता है कि आसाराम के पिता लकड़ी और कोयले के कारोबारी थे. उसकी आसाराम की ऑटोबायोग्राफी के अनुसार, उसने तीसरी क्लास तक ही पढ़ाई की.
फिर पिता के निधन के बाद उसने कभी टांगा चलाया तो कभी चाय बेचने का काम तक किया. फिर 15 साल की आयु में घर छोड़ दिया और गुजरात के भरुच स्थित एक आश्रम में आ गए थे.
यहां आध्यात्मिक गुरु लीलाशाह नाम से उन्होंने दीक्षा ली. दीक्षा से पहले खुद को साबित करने के लिए साधना की. दीक्षा के बाद लीलाशाह ने ही इनका नाम आसाराम बापू रखा था.
1973 में आसाराम ने अपने पहले आश्रम और ट्रस्ट की स्थापना अहमदाबाद के मोटेरा गांव में की. इसके बाद समय के साथ आसाराम का साम्राज्य बढ़ता चला गया. 1973 से 2001 तक उसने कई गुरुकुल, महिला केंद्र बनाए. यहां तक की कई राजनीतिक पार्टियों में जड़ें जमा ली.