केंद्र सरकार के पास हर कमी को ढक देने का कोई न कोई नुस्खा है. जैसे कोई बड़ी वैश्विक हस्ती आती है तो झुग्गी बस्तियों को दीवार खड़ी करके ढक दिया जाता है. उसी तरह महंगाई कम दिखाने का नायाब नुस्खा सरकार ने निकाल लिया है.
अब हर बार आंकड़े में महंगाई कम दिखती है. लोग हैरान परेशान होते हैं कि महंगाई से उनकी जान निकल रही है और दूसरी ओर सरकार कह रही है कि महंगाई कम है !
एक तरफ वस्तुओं और सेवाओं की कीमत आसमान छू रही है और दूसरी ओर सरकार के आंकड़ों में महंगाई दर लगातार कम हो रही है. दूसरी हैरान करने वाली बात यह है कि थोक महंगाई दर बढ़ रही है लेकिन खुदरा महंगाई दर कम हो रही है. इस गुत्थी को बड़े से बड़ा अर्थशास्त्री भी शायद ही सुलझा पाए !
सोचें, मई के महीने में थोक महंगाई दर अप्रैल के 1.20 फीसदी से बढ़ कर 2.61 फीसदी हो गई. यानी दोगुने से ज्यादा बढ़ गई लेकिन मई के महीने में भी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर 4.85 से घट कर 4.78 फीसदी हो गई. मामूली ही सही लेकिन कमी आई.
असल में सरकार ने महंगाई दर कम दिखने का एक नायाब नुस्खा निकाल लिया है. उसने खुदरा महंगाई में खाने पीने की चीजों की वेटेज कम कर दी है. पहले खाने पीने की चीजों की वेटेज 45.86 फीसदी थी. तभी इनकी कीमत बढ़ते ही महंगाई का आंकड़ा बढ़ जाता है. अब इसे घटा कर 39 कर दिया गया है. तभी खाने पीने की चीजें महंगी होती रहती हैं फिर भी महंगाई दर में ज्यादा इजाफा नहीं दिखता है…