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मुलायम-अखिलेश मुलाकात की स्क्रिप्ट प्रेस काफंरेस मे लिख दी गयी थी!

-इसीलिये बदल दिया गया था प्रेसनोट, अब नेताजी को तोहफा देने की तैयारी

लखनउ 29 सितम्बरः मंशा पूरी थी। तैयारी भी पूरी। नया दल का ऐलान होना तय था। अचानक ऐसा क्या हुआ कि प्रेस काफं्रेस मे  मुलायम को दिये जाने वाला प्रेस नोट बदल दिया गया था? इसको लेकर राजनैतिक गलियारे मे  छिड़ी बहस के बीच कल पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलामम सिंह यादव से घर पर जाकर मुलाकात की। क्या आपको पता है कि इस मुलाकात की स्क्रिप्ट प्रेस काफं्रेस के दौरान लिख दी गयी थी। यही कारण रहा कि मुलायम ने अपनी लिखी बातो  को न कह कर नये शब्दो मे  अखिलेश पर तीर चलाये थे।

मुलायम सिंह के बारे मे  कहा जाता है कि वो ऐसे राजनेता है, जो समय और परिस्थितियो  के हिसाब से अपने निणर्य लेते हैं। उनके अचानक यू टर्न लेने से कई मायने निकलते हैं। बीते दिनो  जब मुलायम सिंहयादव ने पत्रकारो  से बातचीत के दौरान अलग पार्टी बनाने की संभावनाओ  को खारिज करते हुये अखिलेश पर थोड़ा हमला  किया और पूरा मुददा सरकारो  पर केन्द्रित कर दिया था।

राजनैतिक जानकार बता रहे है कि मुलायम सिंह यादव दोनो  पक्षों को ऐसा मौका देना चाहते है, जिससे सपा के बिखराव अध्याय समाप्त हो जाए। उन्हंे जब बताया गया कि अखिलेश यादव आपसे कुछ बात करना चाहते है और संभव है कि आने वाले दिनो मे  वो आपके लिये कुछ बड़ा ऐलान करेगे, तो आनन-फानन मे  प्रेस काफं्रेस मे  दिये जाने वाले प्रेस नोट को रददी की टोकरी मे  डाल दिया गया।

बताने वाले की बात सोलह आने सच हुयी। कल अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव के घर पहुंचे और उनसे अधिवेशन को लेकर  चर्चा की। जानकार बताते है कि आगरा मंे 5  तारीख को तय हुये अधिवेशन मे  संभव है कि मुलायम सिंह यादव की पार्टी और अखिलेश से चल रही नाराजगी को दूर करने के लिये तय किया गया फार्मूला घोषित किया जाए।

जानकार बता रहे है कि मुलायम सिंह यादव सिर्फ इतना चाहते है कि अखिलेश पार्टी के अध्यक्ष भले ही बने रहे, लेकिन शिवपाल के लिये सम्मानजनक स्थिति निर्मित करंे, ताकि वो अखिलेश से दूर न जाएं। कुनबे को एकजुट करने की शर्त पर लिये गये यू टर्न की असलियत अब पांच तारीख को सामने आयेगी।

माना जा रहा है कि अखिलेश की तरफ से यह संदेश नेताजी को दिया गया कि 2019मे  होने वाले चुनाव आपके नेतृत्व मे  लड़ा जाएगा और चाचा की  नाराजगी दूर करने के लिये उन्हे अच्छा पद और सम्मान दीपावली के तोहफे के रूप मे  दिया जाएगा।

भाई और बेटे के बीच सेतु बने मुलायम सिंह यादव को फिलहाल यह फार्मूला पसंद आया है  और माना जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव आगरा मे  होने वाले राष्टीय अधिवेशन मे शमिल हांेगे। उनके साथ शिवपाल सिंह यादव भी मंच पर नजर आ सकते हैं।

 

 

गौरतलब है कि बीते दिनो  लखनउ के गलियारे मे  एक ही संभावनाओ  के बादल छाये थे कि मुलायम सिंह यादव पार्टी छोड़ने और नये दल का ऐलान करते है या नहीं। वैसे सब कुछ तय हो गया था। शिवपाल खेमे की तैयारी अंतिम थी।

जिस समय मुलायम िसह यादव पत्रकारो  के बीच आये, उनके चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था। हालंाकि मंझे हुये राजनैतिक खिलाड़ी की तरह मुलायम सिंह यादव ने अपनी बात को सीधे न रखते हुये प्रदेश और केन्द्र सरकार पर निशाना साधा।

जब मुलायम सिंह यादव यह बातंे कह रहे थे, तब उनके पास वो प्रेस नोट नहीं था, जिसमे उन्होने  अपने अपमान की बारे  लिखी थी। इससे पहले कि मुलायम सिंह यादव का सरकार पर हमला बंद होता, उन्हंे दूसरा पर्चा थमा दिया गया था।

इस पर्चें मे  साफ कहा गया कि मुलायम सिंह यादव नयी पार्टी नहीं बना रहे, वो अखिलेश के निणर्य के साथ नहीं है।

अचानक हुये इस फेरबदल को लेकर शिवपाल खेमा भी सकतेमे  रह गया था। कोई कुछ समझ नहीं पाया कि आखिर मुलायम सिंह यादव यह क्या कह रहे हैं? उन्हे  तो पार्टी छोड़ने का ऐलान करना था।

दरअसल, जो पर्चा मुलायम सिंह यादव को दिया जाना था, उसमंे पिछले दिनो  हुये राजनैतिक घटनाक्रम के साथ उनके अपमान की बाते  भी लिखी थी। यदि आप चित्र को ध्यान से देखे, तो साफ दिखता है कि पर्चेे मे  नेताजी ने अपने अपमान को वरीयता दी। उन्हांेने मुसलमानांे और नौजवानांे की बात उठाने पर जोर दिया है, लेकिन यह सब कागज मे  ही दर्ज होकर रह गया।

 

 

 

 

 

 

 

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