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मेवाणी ने पीएम पर कैसे निशाना साधा!

नई दिल्ली 5 जनवरीः गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मवाणी ने महाराष्ट हिंसा के शान्त होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। मेवाणी पर भड़काउ भाषण देने के आरोप मे मुकदमा दर्ज किया गया है।

मेवाणी ने कहा कि खुद को अंबेडकर का भक्त कहने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुप क्यो  हैं।

क्या दलितों को शांतिपूर्ण रैली का हक नहीं है. दलितों पर लगातार हो रही हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जुबान खोलें. केंद्र सरकार दलितों पर अपना रुख स्पष्ट करें.

  1. मेवाणी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से महाराष्ट्र हिंसा पर बयान देने की मांग की. उन्होंने कहा कि देश में दलित सुरक्षित नहीं हैं. प्रधानमंत्री की दलितों के प्रति कोई प्रतिबद्धता है या नहीं. खुद को अंबेडकर का भक्त बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चुप्पी तोड़ें.
  2. दलित नेता ने कहा कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वेमुला, ऊना, सहारनपुर और अब भीमा-कोरेगांव में दलितों को निशाना बनाया गया है. समय आ गया है कि केंद्र अपनी स्थिति साफ करें. भीमा कोरेगांव में दलित शांतिपूर्ण रैली निकाल रहे थे, जब उन पर हमला किया गया.
  3. मेवाणी ने कहा कि जिस जगह पर हिंसा हुई, उस जगह मैं मौजूद ही नहीं था. ना ही महाराष्ट्र बंद में मैं शामिल हुआ, फिर किस बात के कारण मेरे ऊपर केस किया गया.
  4. हम लोग 9 जनवरी को नई दिल्ली में युवा हुंकार रैली करेंगे. उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दफ्तर की ओर बढ़ेंगे. उन्होंने बताया कि जब हम पीएमओ की तरफ जाएंगे, उस दौरान एक हाथ में मनुस्मृति और दूसरे हाथ में संविधान होगा.
  5. मेरे ऊपर केस करने के साथ ही सरकार देश के लाखों दलितों पर भी केस कर रही है. मैं अपने समर्थकों से कहना चाहता हूं कि किसी भी तरह की हिंसा ना फैलाएं.
  6. हम पीएम मोदी को चेतावनी देना चाहते हैं कि अगर इस तरह दलितों को दबाया गया, तो हम 2019 में कड़ा संदेश सिखाएंगे.
  7. संघ परिवार और बीजेपी के लोग मेरी छवि को खराब करना चाहते हैं. गुजरात चुनावों में बीजेपी के 150 सीटों का सपना टूट गया, इसलिए उन्हें 2019 में खतरा दिख रहा है. इसी कारण से मेरे ऊपर एफआईआर दर्ज की गई है.
  8. जिग्नेश ने कहा कि हम जातिविहीन समाज चाहते हैं. हम चांद पर पानी ढूंढ़ रहे हैं, लेकिन जमीन पर जातिवाद अपनी जड़ें जमाए हुए है. मुझे टारगेट किया जा रहा है. मैं एक निर्वाचित प्रतिनिधि हूं. मेरे भाषण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है. मेरे भाषणों में प्रगतिशीलता की बात है.
  9. उन्होंने कहा कि अगर हमें फासीवाद को खत्म करना है तो जनता के आंदोलनों में सड़क पर उतरना होगा. मेरे खिलाफ जानबूझकर कार्रवाई की जा रही है. मेरे भाषण में एक शब्द भी अपमानजनक नहीं है.

 

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