झांसी: काला धंधा करने मे बुन्देलखण्डी भी किसी से पीछे नहीं है। इनके दिमाग मे पैसा कमाने के लाखों गुर है। अब पानी को ही ले लो। बुन्देलखण्ड का किसान पानी के लिये जान दे रहा। कुुछ लोग है, जो इसी पानी से सोना बना रहे हैं। उन्हे जनता तो बेवकूफ नजर आ रही रही, सरकारी अमले की जुबान पैसो के ताले से बंद कर दी है। यानि लगे रहो, जब तक कोई कुछ कहे नहीं।
मिनरल व शुद्व पानी के नाम पर पाउच मे बेचे जा रहे पानी की जांच के लिये कोई विभाग आगे आने को तैयार नहीं होता। यह लोग डीएम की फटकार के बाद ही जागते हैं।
गौरतलब है कि नगर मे पानी को बेचने का धंधा जोरों पर है। मशीन से पानी की शुद्वता का दावा करने वाली पाउच कंपनियां इस धंधे से लाखों रूपये कमा रही हैं। साधारण पानी को पाउच मे पैक कर बेचा जा रहा है। गर्मी के मौसम मे राहगीरो को प्यास बुझाने के लिये पाउच सहज उपलब्ध हो जाते हैं, इसलिये पाउच का धंधा पिछले कुछ सालांे मे तेजी से विकसित हुआ है।
बस स्टैण्ड, स्टेशन, बाजार व इलाइट चौराहा पर पानी के पाउच बेचने वालों की कमी नहीं है। बोरियों मे भरकर आने वाले पाउच के चलते बोतलांे मे बिकने वाले कंपनियांे के पानी की बिक्री कमजोर पड़ जाती है। जिलाधिकारी ने पाउच की बिक्री मे पानी की शुद्वता की जांच के लिये औषधि विभाग को निर्देश दिये थे। कहा गया था कि पाउच व जार मे पानी भरने वाले उद्यमियांे की फैक्ट्री का भी स्थलीय निरीक्षण किया जायेगा ताकि पता चल सके कि पाउच मे भरा जाने वाला पानी मशीन से शुद्व किया जा रहा है या नहीं। जनपद मे जार मे पानी की सप्लाई प्रतिदिन लाखांे रूपये की है।
बेखौफ और बेरपवाह तरीके से कमाई करने वालों ने नया फंडा यह निकाला है कि जार के पानी की जांच के लिये कोई नियम नहीं है। इसलिये वो कर कैसे दंे? यानि कमाई करो, गुणवत्ता और टैक्स देने की बात न करो।