कोंच: भक्तों को जब अहंकार होता है तो उसका शमन करने को अवतरित होते हैं परमात्मा-पं. रमाकांत

*कोंच (जालौन)।* यहां नहर निरीक्षण भवन परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस कथा व्यास पं. रमाकांत व्यास महाराज ने कहा कि भक्तों के कष्ट दूर करने के लिये ही भगवान का इस धरा पर आविर्भाव होता है लेकिन यह तभी संभव है जब भक्त निश्छल और कपटरहित हृदय से उनका स्मरण करता है। उन्होंने कहा कि यदि परमात्मा का कोई भक्त अहंकार से ग्रस्त होता है तो स्वयं परमात्मा उसका शमन करते हैं। उन्होंने माता-पिता को धरती का भगवान निरुपित करते हुए कहा कि माता-पिता की सेवा से ही जीव का कल्याण हो जाता है। उन्होंने ध्रुव चरित्र की भी कथा का रसास्वादन कराया।
धर्मनिष्ठ पालिकाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता द्वारा संयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह में कथा प्रवक्ता ने अपनी रसमयी वाणी से श्रोताओं को बताया कि गाय, ब्राह्मण, संत और सत्संगी जीवों पर जब भी विपत्ति आती है और वे निर्मल मन से भगवान का स्मरण करते हैं तब परमात्मा किसी न किसी रूप में इस धरा पर अवतार धारण करते हैं। कथा व्यास बताते हैं कि परमात्मा का वास सब जगह है, बस जरूरत है उसे पहचानने की, जो भी उसे सच्चे मन से स्मरण करता है वह अवश्य ही उसे प्राप्त होता है। आज की कथा में उन्होंने कपिलोपाख्यान व भक्त ध्रुव आदि की मनभावन कथाएं विस्तार से सुनाईं। गंगावतरण की कथा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि राजा सगर के पुत्रों के मोक्ष के लिए रघुवंश के महान प्रतापी राजा भगीरथ ने घोर तपस्या की और सुरसरि गंगा को पृथ्वी पर लाए। उन्होंने कहा कि सुरसरि गंगा प्राणियों को पापों से मुक्त करने वाली है। कथा विराम के बाद परीक्षित मोंटी व प्रदीप गुप्ता ने भागवत जी की आरती उतारी और प्रसाद वितरित किया गया।

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