झाँसी। कांग्रेस पार्टी ने इस बार लोकसभा चुनाव के लिए न्याय योजना का ऐलान किया है । चुनाव में गठबंधन का फार्मूला कुछ इस तरह बना है कि कई क्षेत्रों के कांग्रेसी अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हुए आसपास की लोकसभा सीटों पर भाग रहे हैं , तो कई बड़े नेता सरेंडर करने की स्थिति में है। ऐसा ही कुछ नजारा झांसी लोकसभा सीट पर भी देखने को मिल रहा है।
बुंदेलखंड की सबसे अहम सीट मानी जाने वाली झांसी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने जन अधिकार पार्टी के साथ गठबंधन कर उसे यह सीट सौंप दी है।। चुनाव से पहले दावेदारी कर रहे कांग्रेस के नेताओं को गठबंधन की खबर ने हैरानी में डालने के साथ असमंजस की स्थिति में भी फसा दिया कि वह जनता के बीच क्या संदेश लेकर जाएं कि कांग्रेसी झांसी सीट से क्यों चुनाव नहीं लड़ना चाह रही है?
बरहाल, गठबंधन धर्म निभाने के लिए पार्टी के आदेश को मानते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य और हाल में ही कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक बृजेंद्र व्यास जन अधिकार पार्टी के शिवचरण कुशवाहा को प्रत्याशी मानते हुए उनके साथ नामांकन से लेकर प्रचार में नजर आने को मजबूर हो गए।
परंतु यह स्थिति हकीकत को पाया नहीं करती है स्टेशन रूट पर बने गठबंधन के कार्यालय की यदि स्थिति का आकलन करें तो यहां कांग्रेसी नेताओं के चेहरे पूरे कार्यालय में घंटों भ्रमण के बाद नजर नहीं आते हैं बीते रोज जब मार्केट संवाद की टीम कांग्रेस कार्यालय पहुंची तो पाया कि जमीन से जुड़े कांग्रेसी के कई नेता नदारद थे जब इस बारे में इन नेताओं से बात की तो जवाब बड़ा ही हैरानी भरा था नेता पूरी तरह से अपने बचाव में यह तर्क दे रहे थे कि उन्हें निकटवर्ती लोकसभा सीट पर प्रभार दिया गया है दूसरे क्षेत्र में पार्टी का प्रचार कर रहे हैं।
बुंदेलखंड में कुछ युवा और ज़मीनी नेताओं की लिस्ट को यदि आप देखेगे,तो राहुल राय, सुनील तिवारी, भानु सहाय, रघुराज शर्मा ,राहुल रिछारिया आदि नाम याद आते हैं।। वर्तमान में सभी चेहरे चुनावी अभियान से गायब है। डॉक्टर सुनील तिवारी जालौन लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी बृजलाल खाबरी के प्रचार अभियान में जुटे हैं ।
राहुल रिछारिया, राहुल राय भानु सहाय भी निकटवर्ती लोकसभा सीटों पर प्रचार के लिए जा रहे हैं । झांसी में शिवचरण कुशवाहा को पार्टी सिंबल का सहारा देने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य, पूर्व विधायk व्यास उनके साथ कदमताल कर रहे हैं , लेकिन इनके चेहरे के हाव-भाव और राजनीतिक बोल हताशा भरे हैं । लगता है की दोनों नेताओं ने वर्तमान हालत हो मैं खुद को सरेंडर कर दिया है।
कांग्रेस की बुंदेलखंड में ठोस स्थिति मानी जाती है । 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदीप जैन आदित्य भले ही चौथे नंबर पर रहे हो, लेकिन उन्होंने 80000 से अधिक मत प्राप्त किए थे। वर्तमान में जन अधिकार पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन में दोनों दलों के नेताओं ने यह सोचने की जहमत नहीं उठाई है कि क्यों जमीनी स्तर के युवा नेता झांसी सीट से पलायन कर गए हैं और कद्दावर नेता खुद को असहाय मानते हुए सरेंडर की स्थिति में है ?
कांग्रेसियों का कहना है कि अंदर खाने की स्थिति बहुत खराब है। उन्हें सम्मान के साथ समझौता करना पड़ रहा है । ऐसे में दूसरी पार्टी के छोटे नेताओं के सामने उन्हें असहज स्थिति में खड़ा होना पड़ता है। वैसे आपको बता दें कि जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाहा ने झांसी सीट के लिए जिन लोगों को जिम्मेदारी दी है , उनमें एक नाम कालीचरण का भी है, जो पूरी व्यवस्था को संचालित कर रहे हैं । इनके आगे प्रदीप जैन और डम डम व्यास भी नतमस्तक नजर आते हैं।
बरहाल, आने वाले समय में क्या गठबंधन कोई नई रणनीति बनाकर चमत्कार करने की स्थिति में आ सकेगा या मीडिया में कही गई बातें सच साबित होंगे कि कांग्रेसमें मैदान में जंग लड़ने से पहले ही आत्मसमर्पण कर दिया । जानकार मान रहे हैं कि इस गठबंधन की राजनीति में सबसे ज्यादा नुकसान प्रदीप जैन और व्यास का होगा। चुनाव की सही स्थिति का पता 23 मई को होने वाली मतगणना के बाद भी सामने आ सकेगा।