झांसी। पुलिस ने बेरहमी से एक दलित युवक को पीट-पीटकर मरणासन्न हालत में पहुंचा दिया। पीड़ित युवक का गुनाह बस इतना था कि उसने पुलिस की मुखबरी करने से मना किया था। जिस पर पुलिस ने उसे थर्ड डिग्री से टॉर्चर करते हुए रुपयों की मांग की। जब हालत बिगड़ गई तो उसे जिला अस्पताल में छोड़कर भाग गये। इस पूरे प्रकरण की शिकायत लेकर युवक की मां जिलाधिकारी से लेकर एसएसपी तक के पास पहुंची है। जहां मामले से अवगत कराते हुए न्याय की गुहार लगाई।
सीपरी बाजार थानान्तर्गत नंदनपुरा निवासी अविनाश अहिरवार हाथ ठेला लगाकर चूड़ी बेचता है। अविनाश अहिरवार की मां श्रीमती रामप्यारी अपने बेटे के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची।
श्रीमती रामप्यारी का कहना है कि 18 सितम्बर की शाम को लगभग 7 बजे उसका बेटा ठेला बंद कर वापस अपने घर आ रहा था। इसी दौरान रास्ते में उसे सीपरी बाजार थाने में तैनात सिपाही राजीव व राकेश ने रोक लिया। इसके बाद उसे जबरन गाड़ी में बैठाकर थाने ले गई। इसकी जानकारी उसे उस समय हुई जब काफी देर तक उसका बेटा घर नहीं लौटा। थाने के दो दिन तक चक्कर लगाने के बाद उसे इसकी जानकारी हुई कि पुलिस उसे थाने में बैठाए हुए है। जहां पुलिस ने उसका मोबाइल और 5000 रुपए छीन लिया। इसके बाद उसकी लाठी-डंडों से बेरहमी से पिटाई की जा रही है। यह जानने के बाद वह थाने पहुंची। जहां पुलिस ने पहले उसे बेटे से नहीं मिलने दिया। काफी मिन्नते करने के बाद पुलिस ने उससे 10 हजार रुपयों की मांग की। वह वापस घर आ गई। इसके बाद पुलिस ने फिर उसके बेटे की पिटाई की। जिससे वह मरणासन्न हालत में हालत में पहुंच गया।
राम प्यारी का कहना है उसका बेटा जब मरणासन्न हालत में पहुंच गया तो उसे पुलिस जिला अस्पताल में छोड़कर भाग गई। इसके बाद पुलिस ने उसे किसी को न बताने की धमकी दी। वहीं उक्त युवक अविनाश का कहना है उसका गुनाह बस इतना था कि पुलिस उस पर मुखबिर बनने का दबाव बना रही थी। जिसे उसने स्वीकार करने से इंकार कर दिया। बस फिर क्या था पुलिस ने उस पर लाठिंया भांजनी शुरु कर दी।
फिलहाल मां-बेटे ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाही की मांग को लेकर जिलाधिकारी से शिकायत की है।
जब इस मामले को लेकर दूरभाष पर सीपरी थाना प्रभारी से जानकारी ली गई तो उन्होंने इन आरोपों को गलत बताया। पुलिस ने बताया उक्त युवक शातिर बदमाश है। उसके घर पर दबिशें दी जा रही है। जिस कारण यह आरोप लगा रहा है।