झाँसी। मानव कल्याण विकासवादी संस्थान की करगुज़रिया सामने आने के बाद सवाल उठ रहा है कि संस्था का संचालक आखिर नगर में कैसे इतना बड़ा कांड कर रहा था ? क्या उसके पीछे किसी का हाथ था? किसकी संरक्षण मे ये सब हो रहा था? कैसे संचालक आम से vip बन गया?
आपको बता दे कि झाँसी में बीते रोज नगर निगम के सामने बने मानव कल्याण विकासवादी संस्थान को पुलिस ने सीज कर दिया था । आरोप है कि संस्थान बेरोजगार युवाओं को नोकरी देने के नाम पर ठगी कर रहा था।
मानव कल्याण विकास संस्थान के पदाधिकारियों द्वारा झांसी में सिविल लाइन में अपना कार्यालय खोल कर बेरोजगारों को अच्छे वेतन पर नौकरी का लालच देकर फांसना शुरू कर दिया। संस्थान के संचालक बतौर रजिस्ट्रेशन के रूप में बेरोजगारों से ५३० रुपया जमा करा रहे थे। इसमें यदि किसी को १२ हजार रुपए प्रति माह वेतन की नौकरी चाहिये तो उससे २० हजार रुपया, जिसे ३५ हजार रुपए प्रतिमाह की नौकरी चाहिये तो उससे ६० हजार रुपया संस्थान द्वारा जमा कराये गये। जिन्होंने पंजीकरण शुल्क व वांछित धनराशि जमा कर दी उनसे काम सिर्फ लोगों को पानी पिलाना और पौधा रोपण करने का लिया जाने लगा। शुरूआत में कुछ लोगों ने रुपया जमा किये तो उन्हें वेतन भी मिलने लगा तो अन्य बेरोजगार इस चकाचौंध में फंस गए और ठगी का शिकार होने लगे। इस ठगी की कई बार पुलिस में शिकायतें की गयीं, पुलिस ने चेकिंग भी की व कुछ को पकडा, किन्तु बाद में ले देकर मामला ठण्डे बस्ते में चला गया।
बताते है कि संस्थान की ओर से दावा किया जाताथा कि कंपनियों में 20 से 40 हजार रुपए प्रति माह की नोकरी दी जाएगी । इस लालच में युवा संस्थान में रुपये जमा कर रहे थे।
संस्थान कि गतिविधि संदिग्ध होने पर कुछ लोगों ने शिकायत भी की,लेकिन पोलिस ने ध्यान नही दिया। प्रशासन भी खामोश रहा। जानकर बताते है की संस्थान का संचालक कुछ दिन पहले तक एक आम आदमी की तरह था। चंद दिनों में वो vip बन गया। ऑफिस में आने के। दौरान उसके साथ कई बॉडीगार्ड चला करते थे। आखिर उसके पास इतना पैसा कहा से आ रहा था?
वो सरे आम लोगो को नॉकरी। देने का दावा कर रहा था औऱ प्रशासन ने कभी जांच तक नही की? खुफिया तंत्र को क्यों इसकी जानकारी नही हो सकी?
अब सवाल उठ रहा है कि क्या से संस्थान ने युवाओ से जो रुपए लिए है क्या वो वापस हो सकेंगे? क्या पोलिस सच को सामने ला सकेगी?