झाँसी. झांसी मेडिकल में आज फिर एक बार जूनियर डॉक्टरों और सीमा दोनों के बीच विवाद की घटना सामने आई है मेडिकल कॉलेज में सीमा दारू के साथ होने वाली घटनाओं में लगातार वृद्धि ने मेडिकल प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
आरोप है कि जूनियर डॉक्टरों ने मरीज के तीमारदारों को बंधक बनाकर बेरहमी से पीट-पीटकर मरणासन्न हालत में कर दिया। यहां तक कि पीड़ितों के परिवार के सदस्य की लाश को भी नहीं दिया। किसी प्रकार भागकर उन्होंने जान बचाई। सूचना पर पहुंची पुलिस भी डॉक्टर के आगे कमजोर साबित नजर आया। पुलिस ने पीड़ितों को उपचार के लिए अस्पताल तो भेज दिया। लेकिन देर तक न तो मामला दर्ज किया गया था और न ही उन्हें मृतक से मिलने दिया।
बताया जाता है कि सीपरी बाजार थानान्तर्गत नंदनपुरा में रहने वाले 18 वर्षीय सागर पांडे ने विगत दिवस जहर खा लिया था। बेहोशी परिजनों ने उसे उपचार के लिए झांसी मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। जहां उसका वार्ड नम्बर 8 में इलाज चल रहा था। मृतक की मां का आरोप है कि डॉक्टर उसके बेटे के इलाज में लापरवाही कर रहे थे। दोपहर बाद अचानक उसकी हालत बिगड़ने लगी। जिस करण वह डॉक्टरों और नर्सों से दुहाई लगाती रहीं है, लेकिन उन्होंने उसके बेटे की ओर ध्यान नहीं दिया। जिस कारण उसकी मौत हो गई। इसी बीच उनका एक डॉक्टर से विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि उन्होंने गाली-गलौज करनी शुरु कर दी।
जिसका विरोध करने पर उक्त डॉक्टर ने अपने साथियों को वहां बुला लिया। इसके बाद सभी लोगों को बंधक बनाकर बेरहमी से पीटना शुरु कर दिया। उन्होंने डॉक्टर से रहम की भीख मांगी, लेकिन उन्हें रहम नहीं आया। कभी वह लात-घूसों से तो कभी वहां उपकरणों से पीटते थे। किसी प्रकार वार्ड में मौजूद लोगों ने उन्हें मुक्त कराया। इसके बाद वह अपने बेटे की लाश को वहीं छोड़कर भागे और इसकी शिकायत थाने की पुलिस से की। पुलिस ने घायलों को पीड़ितों को उपचार के लिए जिला अस्पताल भेजा।
इलाज कराने के बाद पीड़ित परिवार नवाबाद थाने पहुंचा। जहां उन्होंने न्याय की गुहार लगाई। पीड़ितों का आरोप है पुलिस मामले को गम्भीता से नहीं ले रही है। कई घंटे बीत चुके हैं इसेक बाद भी उनके बेटे की शक्ल भी नहीं दिखाई। समाचार लिखे जाने तक मामला दर्ज नहीं हो सका था।
जूनियर डाक्टरों ने हर बार की तरह अपना बचाव करते हुए मृतक के परिजनों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने पोस्टमार्टम कराने के लिए बोला था, लेकिन वह तैयार नहीं थे। इसी बात को लेकर कहासुनी हो गई। कहासुनी इतनी बढ़ गई कि उन्होंने मारपीट करनी शुरु कर दी। उन्होंने महिला डॉक्टरों को घसीट-घसीटकर पीटा। इस दौरान जो डॉक्टर बचाने पहुंचे तो उनके साथ भी मारपीट की। जूनियर डॉक्टरों ने इसकी सूचना पुलिस को दी।