झांसीः अब पंडितजी को कौन मना पाएगा?

झांसीः जिस घड़ी में  सभी को लोग अपना कहते हैं, वो आ गयी। यानि चुनाव में  प्रत्याशी फाइनल हो गये। अब जात-पात को लेकर समीकरण फिट करने की तैयारी है। वैश्य, जैन, ब्राहमण, सक्सेना से लेकर अन्य जातियों  के प्रत्याशी मैदान में  आ गये। सबसे बड़ा सवाल यह है कि ब्राहमण को कौन मना पाएगा?

झांसी की विधानसभा सीट हो या फिर मेयर। झांसी में  ब्राहमण मतदाता की अच्छी दखलंदाजी है। वैसे भी बुद्विजीवी वर्ग का यह मतदाता अपना निर्णय बहुत सोच समझ कर लेता है।

भाजपा ने इस बार मेयर पद के लिये वैश्य समुदाय पर दांव लगाया है। पार्टी को शायद ब्राहमण वोटरो  पर इस बात को लेकर भरोसा है कि वो पार्टी का साथ नहीं छोड़ेगे। यहां चुनाव में  भरोसे से ज्यादा मैनेज करने का चलन होता है।

कहा जा रहा है कि ब्राहमण मतदाताओ  को रिझाने के लिये अब डमडम, प्रदीप और नीरता रावत के बीच कड़ा मुकाबला होगा। इसमें  अहम भूमिका निभायेगे रवि शर्मा। रवि को मतदाताआंे को अपने पाले में  करने का बड़ा अनुभव है।

वैसे डमडम भी ब्राहमण को अपने पाले में  करने में  कोई कसर नहीं  छोड़ेगे, लेकिन बसपा से ब्राहमण का मोह भंग होने के चलते उन्हें  सफलता मिलना मुश्किल है। सबसे चहेते कहे जाने वाले प्रदीप जैन पर ब्राहमण एक बार को भरोसा जताने की स्थिति मंे आ सकता है।

जातीय समीकरण की दौड़ में  प्रदीप जैन आदित्य का मैनेजमंेट बहुत काम आ सकता है। कांग्रेस के पास जिलाध्यक्ष का पद ब्राहमण वर्ग  से यानि चन्द्रशेखर तिवारी के पास है। चन्द्रशेखर तिवारी लगातार ब्राहमण समाज के संपर्क में रहते हैं। जबकि डमडम के लिये लगातार संपर्क में  ना रहना सबसे बड़ा खतरा है।

ऐसे में  यदि चन्द्रशेखर की अपील का ब्राहमणांे पर असर होता है, तो काफी हद तक ब्राहमण मतदाता प्रदीप की ओर रूख कर सकता है।

बरहाल, प्रत्याशी मैदान में  आ गये हैं। मुकाबले की शुरूआत हो गयी है। अभीसभी प्रत्याशी अपना घर ठीक करेगे। इसके बाद पंडितजी से आशीर्वाद लेने का काम होगा। देखना दिलचस्प यह होगा कि पंडितजी किसे आशीर्वाद देते हैं? यह भी ध्यान रखना कि अब पंडित के सर्वेसर्वा होने का दावा करने वाले अपनी दुकान जरूर चलाने की कोशिश करेगे!

 

 

 

 

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