झांसीः व्यापारी और वैश्य। दो खेमो का तमगा लगाए भाजपा के मेयर उम्मीदवार रामतीर्थ सिंघल को बाजार मे अपनी पैठ बनाना मुश्किल भरा दिख रहा है। जीएसटी, नोटबंदी मे भितरघात के तड़के के हालातो ने राम को किसी आसरे की तलाश वाला बना दिया।
पहले कदम मे विरोध का सामना झेल रहे भाजपा के रामतीर्थ सिंघल ने सभी के पाजीटिव होने की अपील करना शुरू कर दी है।
कड़े मुकाबले मे टिकट पाने मे कामयाब रहे रामतीर्थ के सामने अब मुश्किलो ने डेरा डाल दिया है। यही कारण है कि अब तक भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है। दिग्गजांे के चेहरे नदारद हैं।
कल विरोध की स्थिति ऐसी रही कि उसे दबाने की भरपूर कोशिश हुयी, लेकिन सफलता नहीं मिली। जानकार बता रहे है कि विरोध करने वालो को लगभग तैयार कर लिया गया, लेकिन उनकी शर्त के आगे बड़े भी बेबस नजर आ रहे थे।
विरोधियो का कहना है कि वो पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता है, लेकिन हमारी मांग कहंे या बात पूरी नहीं हुयी, तो पूरे चुनाव मे घर पर बैठे रहेगे। इस गुट की शर्त भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की है।
चूंकि चुनाव का माहौल है, ऐसे मे किसी बड़े पर तत्काल कार्यवाही मुमकिन नहीं, इसलिये कहा गया कि चुनाव बाद बड़े के पर जरूर कतर दिये जाएंगे!
इस बीच भाजपा प्रत्याशी बाजार मे प्रवेश करने से कतरा रहा है। रामतीर्थ अपने साथ किसी सहारे की तलाश कर रहे हैं। सबकी एक ही डिमांड है कि विधायक को सामने लाओ।
विधायक का चेहरा बाजार मे विरोध के समय ब्रहास्त्र का काम करेगा। वो व्यापारियो को मानने के साथ उन्हे मैनेज कर सकेगे।
बरहाल, जीएसटी, नोटबंदी की उल्टी हवा मे भाजपा प्रत्याशी का सीधा चल पाना मुश्किल भरा होता जा रहा है।
भाजपा अभी बाजार मे नोटबंदी और जीएसटी की काट नहीं ढूंढ पायी है। नोटबंदी के बाद मंदी और फिर जीएसटी की उलझन ने व्यापार वर्ग को काफी नाराज कर दिया है।
भाजपा इस बात को अच्छी तरह जानती है। इसलिये बाजार मे प्रवेश से पहले गुस्से का तोड़ ढूंढा जा रहा है।
देखना दिलचस्प होगा कि यह गुस्सा किसके काम आता है? या फिर भाजपाई खेमे के तारनहार कहे जाने वाले रवि शर्मा अपनी पोटली से कोई फार्मूला निकालेगे?