झांसी चुनावी चर्चाः अब तुमे का बताए, दिल मे कैसी लगी?

झांसीः अरमानो  की डोली मे  बैठे दावेदारो की धड़कन बहुत तेज है। क्या होगा? वाला सवाल परेशान किये है। अपने दावे मे  बड़े नेताओ के चेहरे देखकर हवा खराब हो रही है। लोग है कि अपने-अपने हिसाब से बाते  कर रयै।

बुन्देली माटी ,ए  चुनाव की शादी समारोह जैसी तैयारियां को माहौल बन गयो है। हर कोई नेता बनकर चमकना चाह रहा। जनता भी चटकाने लेने मे  पीछे नहीं। नेताओ , समाजसेवियो  से लेकर सभासद के दावेदारो पर अपने पक्ष रखे जा रहे हैं। मुकाबले से पहले बाजार मे  अपनो  के बीच चल रहे कम्पटीशन मे  हर कोई विजेता है।

बात करे प्रदीप जैन का या फिर प्रदीप सरावगी की। संजीव ऋंगीऋषि हो या फिर हर भजन साहू। मैदान मे  आ चुके डमडम भी खूब सुर्खियां बटोर रहे। परेशान सबसे ज्यादा हमाय समाजसेवी है। लगत है कि पहले से ही बाट लग गयी। अरमान सजाए। पइसा फूंक दयौ। अब उम्मीद कौनउ नजर नहीं आ रयी।

पान, चाय, होटल से लेकर गलियां और चौराहा पर यही चर्चा है। अरे, वे नेता बन रहे थे,उनकौ का भओ? मनमोहन गेड़ा, अमित साहू, संजय पटवारी, संतोष सोनी, नरेन्द्र झां, अनूप अग्रवाल, रामतीर्थ सिंघल, राम कुमार अंक शास्त्री, हर भजन साहू, फूलचन्द्र द्विवेदी। ना जाने कितने नाम है।

हमाय बचकने बोले- चाचा, बाकी की तो फिल्म कुटती दिख रही। जब इतने बड़े मेयर के लाजे आ गये, तो ये का करेगे? दूसरो का चुप रहतो, बोले परो-भजन करेगे, भजन करेगे।

बाद मे  गाली बकेगे।

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