झांसीः जाहिर सी बात है कि जो अपनो को वरीयता दे, उसकी बात हर कोई सुनता है। भले ही जनता में रवि को आवाज ना सुनने वाला कहा जाए, लेकिन पार्टी में अपनो को कैसे सहेजा जाता है। इस बात को रवि ने रामतीर्थ सिंघल का टिकट फाइनल कराकर साबित कर दिया। प्रदीप सरावगी को अब शायद उनसे उलझना खल रहा होगा?
भाजपा की रणनीति हर किसी की समझ में नहीं आ सकती। पिछले एक हफते से ज्यादा समय से मेयर प्रत्याशी के नाम को लेकर चल रहा सस्पेंस आखिर में विधायक की जिद पूरी करने के बाद ही समाप्त हुआ।
प्रत्याशी चयन के पहले राउंड में नंबर वन पर चल रहे प्रदीप सरावगी उर्फ भाईजी फाइनल स्टेज पर पहुंचते-पहुंचते अपने किये गये कार्यों के चलते नीचे आ गये। यानि जो जैसा करेगा, वो वैसा भरेगा। यह बात पार्टी ने साबित कर दी।
दरअसल, बुन्देली माटी में कुछ तो बात है, जो राजनीति के वो चेहरे सफलता पाने में कामयाब हो जाते, जिन्हंे धरातल का नेता मान लिया जाए। इसमें प्रदीप जैन आदित्य, विधायक रवि शर्मा का नाम सबसे उपर आता है।
रवि का विधानसभा चुनाव में जबरदस्त विरोध हुआ। इसमें अगुवा बने महानगर अध्यक्ष प्रदीप सरावगी।
यह जाहिर है कि प्रदीप सरावगी ने रवि के विरोध को लेकर जो झंडा बुलंद किया। वो पूरे चुनाव तक तना रहा। विधायक खेमा इस बात को तब से दिल में लिये बैठा था। खेमा जानता था कि एक दिन भाईजी को रवि के पास आना पड़ेगा। प्रदीप ने अपनी दावेदारी से पहले इस बात के संकेत भी दिये। होर्डिग्स में विधायक को वरीयता दी, जबकि चुनाव में उनकी फोटो तक लगाने से गुरेज करते थे। भाईजी का नगरा कांड सभी को याद है।
जानकार बताते है कि जब टिकट फाइनल होने का काम चल रहा था, तब विधायक को अपनो ने यह कहते हुये घेर लिया था कि यदि भाईजी हुये आईजी, तो हम हो जाएंगे, जाईजी। यानि गुस्सा।रवि इस स्थिति को बेहतर समझते हैं। पिछले चुनाव में मेयर पद के लिये किरन वर्मा को पूरा समर्थन देकर जीत का परचम लहरा दिया था। यही कारण रहा कि पार्टी ने उनकी बात को मान लिया और एक बार फिर से जीत की जिम्मेदारी उनके कंधांे पर डाल दी। यानि अब रवि को अपनो के लिये एक बार फिर से अग्निपरीक्षा देनी होगी।
वहीं, गुमान और जनता से कटाव का आरोप झेल रहे प्रदीप सरावगी ने जब टिकट पाने में संघ का दांव चला, तो संतोष गुप्ता को आगे कर उनका यह दांव काट दिया गया। कद और काठी में संतोष से फीके पड़े प्रदीप सरावगी आखिर तक टिकट की लाइन में लगे रहे। बाद में उन्हंे कहा गया कि आप झांसी घूमे। विचार हुआ, तो टिकट फाइनल कर दिया जाएगा।
बुन्देलखण्ड में पिछले चुनाव में 19 सीटे जीतने वाली भाजपा मेयर सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखना चाहती है। झांसी सीट पर ब्राहमण की संख्या अधिक है। इसलिये पार्टी ने वैश्य को टिकट देकर रवि शर्मा के पाले में गंेद इसलिये फंेक दी कि वो ब्राहमण मैनेजमंेट का काम करे।
फिलहाल, रामतीर्थ सिंघल को लेकर जो स्वर विरोध में उठ रहे हैं, वो मौके की नजाकत भांप खामोशी में अपना काम करने में जुट गये हैं। श्रीराम के साथ उन्हांेने सीताराम भी बोलना शुरू कर दिया। देखते है रवि शर्मा जीत के लिये कौन सी रणनीति तैयार करते हैं।