झांसीः लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है….! जी हां, यह फिल्मी गीत के बोल है, जो सावन मे बारिश की झड़ी लगने पर लिखे गये थे। आज सावन का महीना है, लेकिन बारिश की झड़ी नहीं लग पा रही। बदरा भी इन्सान के मिजाज जैसे हो गये हैं। पल मे नरम, पल मे गरम।
कभी-कभी तो हालत ऐसी हो जाती कि पता नहीं कौन सा इलाका बारिश की चपेट मे आ जाए। झांसी नगर पूरी तरह बारिश के पानी से भीगा नहीं है।
मौसम मे सर्द हवाओ का एहसास सिर्फ पानी की बूंदे जमीन पर आते समय होता है। इसके बाद उमस और बेचैनी आदमी को परेशान कर रही है।
जानकार बताते है कि सावन के महीने मे बारिश जमकर होती थी। हालत यह हो जाती थी कि लोग घर से नहीं निकल पाते थे। स्कूल मे कई दिन छुटटी घोषित करना पड़ती थी।
बीते दो तीन दिन से बदरा अपना रंग तो दिखा रहे हैं, लेकिन जैसे किसी बात पर रूठ गये हो। थोड़ी देर ऐसे बरसेगे, जैसे पूरा कोटा आ ही पूरा कर देगे, लेकिन चंद लम्हा बाद खामोश हो जाते।
बदरा के इस अजब मिजाज से धूप की तल्खी का असर घटने का नाम नहीं ले रहा है। अस्पताल मे मरीज और बाजार मे सन्नाटा गहरा होता जा रहा है। उमस के साथ बारिश के अचानक आने का डर लोगो को परेशान किये है।
वैसे आज सुबह आठ बजे से ही बदरा मेहरबान दिखे। दोपहर और शाम को भी हल्के-हल्के बरसते रहे। रात दस बजे के बाद एक बार फिर रौ मे आने की सोची, लेकिन चंद लम्हे के लिये। इसके बाद शान्त हो गये।
ऐसे मे लोग समझ नहीं पा रहे कि पानी कब और कितनी देर बरसेगा।